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वैदिक मान्यताएँ  (1) अवतरणिका

फ्यूचर लाइन टाईम्स


वेद की मान्यता है :  तीन सत्ताएँ अनादि हैं और तीन सिद्धान्त अटल। वे सत्ताएँ हैं : ईश्वर, जीव और प्रकृति; तथा सिद्धान्त हैं : कर्म बन्धन, पुनर्जन्म और मोक्ष।


सृष्टि के संचालन के लिये ईश्वर, जीव और प्रकृति तीनों की सत्ता का होना अनिवार्य है। किसी एक के न रहने पर अन्य दो की सत्ता निरर्थक हो जाती है। श्वेताश्वतर उपनिषद् में इसे त्रिविध ब्रह्म कहा गया है।


कर्म बन्धन, पुनर्जन्म और मोक्ष , ये तीनों सिद्धान्त जीव के संदर्भ में हैं; प्रकृति जीव की सहायक है और ईश्वर अधीक्ष्यक।


इन सभी विषयों का सम्यक्  विवरण ही वैदिक दर्शन/वैदिक मान्यताएँ हैं। ये सभी विषय धारावाहिक रूप में , सामान्यतः निम्न क्रम में प्रस्तुत किये जाएँगे :


1) ईश्वर, जीव, प्रकृति की त्रिमूर्ति (त्रैतवाद)
2) ईश्वर की सत्ता के प्रमाण
3) ईश्वर का स्वरूप
4) ईश्वर-अवतारवाद
5) ईश्वर और जीव का संबन्ध
6) ईश्वर और जीव में भिन्नता
7) ईश्वर और प्रकृति का संबन्ध
8) त्रिविध ब्रह्म
9) जीव का स्वरूप
10) जीव और प्रकृति का संबन्ध (संयोग)
11) जीव के तीन शरीर
12) जीव के पांच कोश
13) जीव /आत्मा का शरीर में निवास स्थान
14) जीव का कर्म सिद्धांत व पुनर्जन्म सिद्धांत से संबन्ध
15) जन्म - मृत्यु रहस्य
16) क्या मृत्यु काल निश्चित है?
17)जीव का मरणासन्न अनुभव
18) मरणोपरान्त जीव की गति
19) जीव की शरीर धारण (जन्म) प्रक्रिया
20) जीव और मोक्ष सिद्धांत
21) प्रकृति का स्वरूप
22) मायावाद 
23) सृष्टि की उत्पत्ति 
24) ईश्वर ने सृष्टि क्यों बनाई?
25)प्रकृति का प्रयोजन
26) कर्म  --  जीव का धर्म
27) कर्म और फल
28) कर्म और पुनर्जन्म
29) कर्म और भाग्य
30) कर्मयोनि और भोगयोनि
31) कर्म और स्वभाव 
32) कर्म के तीन प्रकार
33) वैदिक वाङ्गमय में पुनर्जन्म
34) पुनर्जन्म के प्रमाण
35) विश्व के अन्यधर्मानुयायी जनमानस में पुनर्जन्म में विश्वास 
36) अन्यधर्मानुयायी विश्वविख्यात चिन्तकों के पुनर्जन्म पर  विचार
37) विश्व के अन्य धर्म और पुनर्जन्म
38) कर्मबन्धन, पुनर्जन्म, मोक्ष का पारस्परिक संबन्ध
39) जीवन का ध्येय
40) मोक्ष का अर्थ
41) मोक्ष प्राप्ति के साधन
42) निष्काम कर्म से मोक्ष प्राप्ति
43) मोक्ष की अवधि 
44) मिश्र एवं हिब्रु संस्कति में मोक्ष से वापसी के विचार
45) उत्तिष्ठत जाग्रत : उठो जागो।
इन  सभी विषयों का विवेचन वेदों, उपनिषदों, भगवद् गीता एवं दर्शन - शास्त्रों के उद्धरणों से किया जाएगा। इनमें विख्यात पाश्चात्य विद्वानों के भारतीय दर्शन सम्बंधी विचार भी उद्धृत किये गये हैं।
 
फेसबुक पर हमारे छह धारावाहिक प्रसारित हो रहे हैं :
1)वैदिक मान्यताएँ
2)The Vedic Trinity
3) योगदर्शन : काव्य - व्याख्या
4)योगदर्शन : काव्यभाष्य गान
5) योगाभ्यास विधि 
6) Yoga Lessons


 जब हमने ये धारावाहिक आरम्भ किये थे, हमारे हितैषियों (मित्रों) की संख्या 500 से भी कम थी। अब यह संख्या 2700 से भी अधिक है। इस के अतिरिक्त सभी धारावाहिकों के 40 से भी अधिक कड़ियां फेसबुक पर पोस्ट हो चुकी हैं तथा सभी की 20 से अधिक और कड़ियां प्रसारित होनी हैं जो यथावत चलती रहेंगी। 


क्योंकि अधिकतर हमारे नव हितैषी काफ़ी सारी कड़ियां से वंचित रह गये हैं, उनकी सुविधा के लिए, हम इन सभी धारावाहिकों की पुरानी कड़ियां पुनः प्रसारित कर रहे हैं।


 


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