फ्यूचर लाइन टाईम्स
धीरेन्द्र अवाना
नोएडा : पालघर महाराष्ट्र में साधुओं की निर्मम हत्या पर श्याम सिंह चौधरी ने फ्यूचर लाइन टाईम्स के संवादाता धीरेंद्र अवाना को विचार रखते हुए बताया कि कल पालघर महाराष्ट्र में दो साधु संतों व एक ड्राइवर की निर्मम हत्या किस सोच की उपज है। चर्च की खिड़की टूट जाने से पूरा देश हिल जाता है, हवा में टोपी उड़ जाने से पूरा सेकुलरिज्म खतरे में आ जाता है, लेकिन साधु संतों की हत्या पर इतनी चुप्पी क्यों ? अखलाख व पहलू खान की घटना मीडिया की 3 महीने तक सुर्खियों में रही और मामला संयुक्त राष्ट्र तक पहुँचा, परन्तु आज के किसी भी अखबार ने इस निर्मम हत्या कांड को छोटा सा भी स्थान नही दिया। इसी सनातनी विरोधी सोच की देन ने भारत माता के टुकड़े कर पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान व बांग्लादेश जैसे भारत माँ विरोधी मुल्क पैदा हुए। सन् 712 से ही आजतक हम इन जाहिलों के जुल्मो से रूबरू हो रहे हैं तथा इसी प्रकार नये नये जुल्मो को सहन कर रहे है। महाराष्ट्र के पालघर में जो अपराध हुआ है, वह क्षमा करने योग्य नही है। एक ओर जहाँ देश कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ रहा है वहीं कुछ जाहिल देश से लड़ रहे है। आखिर लॉकडाउन के बावजूद भी 200 लोग कैसे इकट्ठा हुए और उनके द्वारा दो संतों की निर्मम हत्या कर दी गई, वीडियो में पुलिसकर्मी भी दिख रहे हैं जो भीड़ को रोकने के बदले मूकदर्शक बने टहल रहे हैं। निर्दोष साधुओं की भीड़ द्वारा वास्तव में बर्बरता पूर्वक मॉबलिंचिंग कर दी गई, परंतु पूरे देश में एक रहस्यमई चुप्पी और सन्नाटा बना हुआ है, और चर्च की खिड़की का एक कांच टूटने पर सरकार के आंसू निकल गए थे, मीडिया छाती पिट रही थी। कड़वी वास्तविकता यही है कि इस लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष भारत में किसी भी घटना पर दिखने वाला मीडिया और समाज का आक्रोश तभी दिखता है जब पीड़ित गैर हिन्दू हो तथा आरोप हिंदुओं पर लगाने का अवसर मिल जाये, अन्यथा गैर हिंदुओं द्वारा हिंदुओं पर कितने भी अत्याचार हो जाएं हमारे मीडिया समाज और राजनीतिक दलों को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आखिर कब तक ???
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