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मोदी तुमने लॉक डाउन में, सब कुछ है पाबंद किया।

फ्यूचर लाइन टाईम्स.. .


 


मोदी तुमने लॉक डाउन में, सब कुछ है पाबंद किया।


 


हमको बस ये समझ ना आया, ठेका भी क्यों बन्द किया।


 


खाने पीने की हर चीज, 


सुबह सवेरे मिलती है।


 


लेकिन दुकान शराब की, 


क्षण भर भी ना खुलती है।


 


न्याय प्रिय तुम रहे हमेशा,


क्यों पक्षपात से संबंध किया।


 


हमको बस ये समझ ना आया, ठेका भी क्यों बन्द किया।


 


पीकर के दो पैग हमेशा, 


कैद घरों में हो जाते।


 


लॉक डाउन का पालन करते, चैन से घर में सो जाते।


 


हम बेचारे दर दर भटकें, 


ऐसा क्यों प्रबंध किया।


 


हमको बस ये समझ ना आया, ठेका भी क्यों बन्द किया।


 


एक सम्मानित वर्ग शाम को, घर से रोज निकलता है।


 


लेकिन बेचारों को कहीं भी, पव्वा एक ना मिलता है।


 


इसके साथ ही थाने पर, 


है लाठी से अनुबंध किया।


 


हमको बस ये समझ ना आया, ठेका भी क्यों बन्द किया।


 


चूहे बन गए शेर आपके, 


हाथ नहीं कुछ आता है।


 


एक अदना सा होम गार्ड,


इन शेरों को धमकाता है।


 


लेकिन हमने क्रोध की अग्नि, को है बिल्कुल मंद किया।


 


हमको बस ये समझ ना आया, ठेका भी क्यों बन्द किया।


 


हम तो पूत कमेरे ठहरे,


बढ़ी दरों पर ले लेंगे।


 


लेकिन तुमको तस्कर सारे, बदले में कुछ ना देंगे। 


 


इन चोरों ने देशी ठर्रे को भी,


है गुलकंद किया ।


 


हमको बस ये समझ ना आया, ठेका भी क्यों बन्द किया।


 


अभी समय है मोदी जी,


कुछ तो सुधार करवाओ तुम।


 


सूखे राशन के संग घर घर, 


दो बोतल भी भिजवाओ तुम।


 


पीएम फिर से बनोगे तुम ही,


जो हमको आनंद दिया।


 


हमको बस ये समझ ना आया ठेका भी क्यों बन्द किया।


 


यह तुक्क भिड़ंत केवल आनंद के लिए है। लेखक का मंतव्य शराब को बढ़ावा देना बिल्कुल भी नहीं है। अगर इसमें आंनद आए तो शेयर अवश्य करे।


 


ओमपाल सिंह " विकट "।


धौलाना, हापुड़(उत्तर प्रदेश)।


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