-->

कोविड-19 कोरोना वायरस महामारी की समस्याएं एवं समाधान !

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


भारत की सघन आबादी लॉक डाउन का आंशिक अनुपालन असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का पलायन चिकित्सा सुविधाएं जांच के लिए लैब की चिंता एवं एवं तकनीशियन की कमी केविड 19 महामारी के प्रचार में महत्वपूर्ण कारक है । लॉक डाउन समस्या का समाधान नहीं है अपितु संक्रमण की गति को धीमी करता है तथा आगे की रणनीति की तैयारी के लिए समय मिल जाता है 3 सप्ताह समय भी अपर्याप्त है चीन में अभी तक प्रतिबंध है । सामाजिक दूरी घर परिवार भीड़ में सभी जगह व्यक्ति को दूरी बनाकर रखना आवश्यक यद्यपि इसको भी अपनी सीमा है दिल्ली के एक विदेश से आई महिला द्वारा एक चिकित्सक उसके परिवार व 1200 अन्य लोगों को प्रभावित अथवा संक्रमित किया गया । चिकित्सा क्षमता विश्व में की तुलना मैं भारत में चिकित्सा सुविधाएं सीमित है प्रति हजार व्यक्तियों को तुलना में 0.7 बिस्तर वह चिकित्सक है इस स्वर्णिम समय में हमें बिस्तर एवं अस्पताल की आपात व्यवस्था करनी चाहिए तथा खाली पड़े भवनों स्कूलों रेल के डिब्बे को युद्ध स्तर पर प्रयोजन हेतु प्रयास करना चाहिए चिकित्सालय की कमी को पूरा करके के लिए विदेश से शिक्षित चिकित्सकों आयुष चिकित्सकों रिटायर चिकित्सकों की वरिष्ठ चिकित्सकों के दिशा निर्देशों में सेवाएं लेनी चाहिए । टेस्टिंग व आइसोलेशन सबसे महत्वपूर्ण है कि संदिग्ध लोगों की अधिक से अधिक टेस्ट करके पहचान करना तथा संक्रमित व्यक्ति को पृथक करना अति आवश्यक है ।भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद आईसीएमआर के अनुसार भारत के पास स्थिति में संक्रमण आने में 30 दिन का समय है अभी तक संक्रमण बाहर से आए व्यक्तियों वह उसके संपर्क में आए लोगों तक सीमित है इससे समुदाय में जॉन स्टेज 3 से रोकना महत्वपूर्ण है दक्षिण कोरिया ने बिना लॉक डाउन के ही 10000 लोगों का रोज टेस्ट करके संक्रमित व्यक्तियों को अलग करके इस आपदा पर अल्प समय में काबू पाया है भारत में मार्च 13 तक मात्र लगभग 6000 लोगों का टेस्ट किया गया है । इस क्षमता को हमें दक्षिण कोरिया से भी कई गुना बढ़ाने की आवश्यकता है इसके लिए लैब व तकनीशियन की संख्या को विशेषज्ञ के अनुसार मई-जून मैं यह यहां की स्थिति विस्फोटक हो सकती हैं तथा संक्रमण लाखों की संख्या में तक पहुंच सकता है तब स्थिति बेकाबू होगी । चीन से सबक लेते हुए जिस तरह 10 दिन में 1000 बिस्तर का अस्पताल तैयार कर लिया गया था हमें भी तैयारी करनी है दक्षिण कोरिया की तरह टेस्टिंग की संख्या को बढ़ाकर संक्रमित व्यक्तियों को युद्ध स्तर पर जांच करके पृथक करना है अन्यथा लॉक डाउन का कोई लाभ नहीं निकल पाएगा।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ