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कोरोना के आपात दुष्प्रभाव : राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


नोएडा  : जैसे किसी भी आपदा के समय कुछ गंदी प्रवृत्तियां भी जन्म ले लेती हैं,कोरोना संकट भी उनसे अछूता नहीं रहा। पोलीथीन कैरीबैग लौट आए हैं। कुछ दिनों पहले इसे उपयोग से बाहर करने की मुहिम चलाई जा रही थी। पोलीथीन कैरीबैग के भंडारों पर जो पुलिस छापे डालकर अपनी पीठ थपथपा रही थी, आज वही पुलिस जरूरतमंदों को खाना बांटने के लिए उन्हीं पोलीथीन कैरीबैग का सहारा ले रही है। जरूरतमंदों को खाना मिले यह सरकार और जिम्मेदार व सक्षम नागरिकों का प्रथम कर्तव्य है। कोई सुनिश्चित व्यवस्था न होने से बेहिसाब तैयार खाना और सूखा राशन बांटा जा रहा है। खुद को चमकाने की नीयत से अनेक लोग और अनाम जैसी सामाजिक संस्थाएं खाने के पैकेट लेकर हाजिर हैं। इसका बुरा असर यह कि हर कोई जरूरतमंद बनकर खड़ा हो रहा है। एक मुट्ठी दाल-चावल के लिए लंबी पंक्तियां लग जाती हैं।लोग भिखारी जैसी मानसिकता का शिकार हो रहे हैं। उनमें बेहयाई और आक्रामकता बढ़ रही है। छोटे बच्चों से राहगीरों से पांच और दस रुपए मंगवाए जा रहे हैं। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों में खींचतान के कारण राशन वितरण की समुचित व्यवस्था नहीं की जा सकी है। हालांकि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार शीघ्र ही जनवितरण प्रणाली को दुरुस्त करने का प्रयास कर रही है। इससे मृतप्राय हो चले राशन कोटेदारों के चेहरे रौशन हो गये हैं।आंधी के आमों की कोई गिनती नहीं होती। कोरोनावायरस का यह एक और आपात दुष्प्रभाव है।


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