फ्यूचर लाइन टाईम्स
मयंक त्रिपाठी
आज संपूर्ण विश्व कोरोना रुपी महामारी से जूझ रहा है मानो अधकुचला साँप हो। कोरोना ने प्रत्येक देश को गहरी चोंट पहुँचाई है, ऐसा सदमा दिया है जिसे पीढ़ियों तक नहीं भुला जाएगा। उदाहरण के तौर पर भारत में 26/11 हमला, हिरोशिमा और नागासाकी का परमाणु विस्फोट आदी इन सभी आपराधिक गतिविधियों में लाखों की संख्या में बेगुनाहों की जान गई थी।
आज की परिस्थितियों के मुताबिक कोरोना और आतंकवाद का एक ही रुप है। यदि आतंकवाद की समीक्षा करें तो पता चलता है, इसका कार्य निर्ममता से बेगुनाहों की हत्या करना था साथ ही साथ मासूमों को अपने शिकंजे में कसकर पकड़ना और फिर धीरे-धीरे उनके दिलों-दिमाग में नफरत, अपराध, अधर्म और हत्या के बीज को बोना था,आतंकवाद की बुनियाद नासमझों की बुद्धि को भृष्ट करके ही की जाती है जिसका खामियाज़ा कई घरों के दीपकों को बुझकर चुकाना पड़ता है।
ठीक इसी तरह कोरोना भी मानव के शरीर में प्रवेश करता है फिर धीरे-धीरे विकसित होकर अन्य मनुष्यों को अपनी चपेट में ले लेता है छींक, खाँसी, छूने आदि के माध्यम से इंसानों में प्रवेश करके दूसरे इंसान को कोरोना संक्रमित बनाता है। जिस प्रकार आतंकवाद का कोई इलाज नहीं है ठीक उसी तरह कोरोना का भी इलाज अभी तक नहीं है।
आज विश्व के कई सुखी-समृद्ध और विषम परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम देश भी कोरोना के आगे घुटने टेकते नज़र आ रहे हैं, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण खुद को सुपर पावर कहने वाला अमेरिका है। आज की तारीख में अमेरिका, इटली, फ्रांस समेत कई ऐसे देश हैं जो कोरोना के खतरे को पहले न भाँप सका, जिसका खामियाज़ा लाखों आम नागरिकों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। ऐसे देशों की विश्वविख्यात चिकित्सा व्यवस्था भी धीरे-धीरे बेहाल हो रही है, डॉक्टर संकट में हैं आखिर किसका इलाज पहले करें।
वहीं भारत ने इस आपदा काल में बुद्धिमत्ता का परिचय दिया है जिसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के आवाम को जाता है। पीएम ने कोरोना संक्रमण से उत्पन्न हो रही विषमता को परास्त करने के लिए लॉकडाउन के रुप में भारत के सभी दरवाज़ों को बंद कर दिया और सोशल डिस्टैंसिंग का कड़ाई से पालन करने का भारतवासियों से अनुरोध किया। आज की परिस्थिति के अनुसार भारत कोरोना से खुद को बचाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन नाम के ब्रह्मास्त्र का उपयोग बड़ी द्रढ़ता के साथ कर रहा है। भारतीयों के इसी संकल्प के कारण अन्य देशों के मुकाबले यहाँ कोरोना संक्रमणों के मामले कम हैं।
जिस तरह भारत देश हमेशा से आतंकवाद का विरोध करता रहा है, बल्कि अपने दम-खम और पराक्रम से दुश्मन को पछाड़ता रहा है ठीक उसी तरह कोरोना को हराने की लड़ाई में भारत सबसे आगे है। यदि प्रत्येक भारतवासी सामाजिक दूरी और लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करेगा तो निश्चय ही एक दिन कोरोना और आतंकवाद दोनों को हम जरुर हराएंगे और इस कोरोना रूपी महामारी को कोई एक नहीं हरा सकता बल्कि पूरे देश को साथ आना होगा।
राहत इंदौरी ने क्या खूब कहा है- लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में, यहाँ सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।
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