फ्यूचर लाइन टाईम्स
बाल्मिकी रामायण के अनुसार भगवान राम का 51 वर्ष की आयु मे राजतिलक हुआ था वह 30 वर्ष तक राज करने के बाद 81 वर्ष मे वे संन्यास धारण कर वनों मे चले गये थे।
इन 30 वर्षों के राज को राम राज्य का नाम दिया गया जिसमे उनके राज्य मे कोई दुखी नही था किसी के साथ किसी प्रकार का कोई भेदभाव नही था। सबको शिक्षा का अधिकार था सभी स्वस्थ व कही अकाल नही पड़ा।
भगवान राम ने सबको बराबर का स्नेह दिया चाहे व किसी भी वर्ग का हो। चाहे वह केवट ,शबरी या राक्षस जाति के विभीषण हो। किसी के लिये कोई भेदभाव नही।
आप आजकल चाणक्य सीरियल देख रहे होगे। चाणक्य के कॉल तक भी यहा कोई दलित या निम्न जात का नही था । जैसे मगध राजा धनानंद एक नाई राजा का बेटा था।
चंद्रगुप्त मौर्य वंश से था। आज इन दोनो को दलित श्रेणी मे डाल दिया गया है । ऐसे अनेक राजा हुये है जिन्होंने देश का गौरव बढ़ाया व आज उनके वर्ग को दलित बना दिया।
चाणक्य सीरियल मे एक संवाद है जब सिकंदर वापस चला जाता है तो उसके जाने के बाद यूनानीयो के विरूद्ध विद्रोह होने लगते है।
तब यूनानी सेनापति कहता है कि हमने यहा के राजाओं को जीता ,उनको आपस मे फूट डाली किन्तु हम भारतियों की असली ताक़त को नही पहचान पाये व ना ही उसे विघटित कर पाये।
इन भारतियों की असली ताक़त इनकी शिक्षा पद्धति है संस्कार है इनके गुरूकुल है । जहा इन्हें ये संस्कार मिलते है ।
इसी ताक़त से हारकर यूनानी वापस चले गये । लेकिन मुग़लों व अंग्रेज़ों ने ये ग़लती नही दोहराई। मुग़लों व अंग्रेज़ों ने गुरूकुल जला दिये । पुस्तकालय जला दिये । धर्म परिवर्तन कराकर धर्म भ्रष्ट कर दिये । इतिहास मे मिलावट कर के गौरवमयी इतिहास भ्रष्ट कर दिया जिससे लोग अपने ही इतिहास पर संदेह करने लगे व हीन भावना से ग्रहसीत हो जाये।
रामायण मे मिलावट करके राम को अपनी ही पत्नि पर संदेह करने वाला बना दिया । शंभुक बध जोड़कर दलित विरोधी भी बना दिया जबकि राम राज्य मे कोई दलित नही था बालमिकी रामायण ,कम्बरामायण आदि प्रमाणिक रामायण मे कोई प्रमाण नही।
ऐसे ही अन्य ग्रन्थों महाभारत ,मनुस्मृति आदि मे मिलावट की गई व भारतिय संसकर्ति ,सभ्यता व इतिहास को हानि पहुँचाई गई।
अब समय है जब इतिहास पुन: लिखा जाये। व साथ ही सभीवर्गो को समान अधिकार दिये जाये। सब को बराबर शिक्षा अधिकार मिले । राजा हो या रंग सबके बच्चे समान जगह शिक्षा ले सके व अपनी योग्यता अनुसार देश व समाज का सहयोग करे।
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