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सोशल मीडिया को तमाचा मारता विश्व स्वास्थ्य संगठन

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


ग्रेटर नोएडा  :  कोरोना वायरस को लेकर आम नागरिक इससे बचने के लिए तमाम प्रकार के नुक्से अपना रहें हैं लेकिन सोशल मीडिया का अलग हीं अंदाज़ है। कोरोना वायरस को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम प्रकार के खबरें प्रसारित हो रही हैं। बताया जा रहा कि अख़बार, दूध की थैली और नोटों के आदान-प्रदान से वायरस का संक्रमण फैल रहा है। पर ये सिर्फ़ भ्रम फैलाने के अलावा कुछ नहीं है। WHO यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि इन चीज़ों पर वायरस हो सकता है लेकिन इससे कोरोना का फैलना तथ्यात्मक रूप से बिल्कुल गलत है।


क्या कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन ?


सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों में बताया जा रहा है कि किसी संक्रमित व्यक्ति का छुआ हुआ किसी पैकेट को असंक्रमित व्यक्ति छुता है तो वो स्वास्थ्य व्यक्ति को भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाता है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस बात की संभावना बहुत कम ही है कि एक संक्रमित व्यक्ति का छुआ हुआ पैकेट भी संक्रमणग्रस्त हो जाएगा यह जोख़िम भी बहुत है कि उससे किसी और को कोरोना संक्रमण हो जाएगा क्योंकि यह पैकेट कई माध्यमों व कई तापमानों से गुज़रते हुए आपके घर तक पंहुचता है।


अभी तक केवल एक हीं जरिया है जिससे वायरस फैल रहा है


भारत में अब तक लगभग 230 कोरोना पीड़ितों की पुष्टी हुई है। भारत में जितने भी मामले सामने आए हैं। उसमें से ज़्यादातर लोग प्रत्यक्ष संपर्क के चलते वायरस की चपेट में आए हैं। कहने का मगलब है कि यानी एक बीमार शख्स से दूसरे को सीधे संक्रमण हुआ है। यह संक्रमण रिश्तेदारों, नज़दीकी दोस्तों या ऐसे लोगों को हुआ है, जिनसे लंबे समय तक प्रत्यक्ष रूप से आमने-सामने कब संबंध रहा हो। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि किसी संक्रमित व्यक्ति ने जहां-जहां छू उससे लोगों को संक्रमण हो गया। इसलिए इतना घबराने की ज़रूरत नहीं है।


घबराएं नहीं! अख़बार छूने से नहीं होता है कोरोना


कई सोशल मीडिया साइट्स पे ये अफवाहें भी फैलाई जा रही कि अख़बार से कोरोना वायरस फैलता है, और इसी अफवाहों को सच मान कर पटना के कई कॉलोनियों के लोगों ने 31आर्च तक हॉकरों को अख़बार लाने से मना कर दिया है,लेकिन ज्ञात हो कि अखबार की छपाई से लेकर बंडल बांधने का काम भी मशीनों के जरिए होता है। अखबार आपके इलाके में पहुँचने के बाद हॉकर अखबार आपके घर में फेंकता है। और इसी दौरान वह हर अख़बार हो छूता है। अब इस बात की ही संभावना कितनी है कि अखबारवाला संक्रमित हो। फिर उसे छू देने भर से पूरा अखबार संक्रमित हो जाएगा यह भी संभव नहीं है।


ज़्यादा डरने की ज़रूरत नहीं है


अमेरिकी वैज्ञानिक विनसेंट मस्टर के मुताबिक,
इंसानी शरीर के बाहर वायरस लगातार कमज़ोर होता जाता है। उसे केवल छू लेने से वह आपके शरीर में नहीं पंहुचता। हां अगर कोई चीज संक्रमित व्यक्ति के हाथों से होकर आपके हाथ में आई है और आप बगैर हाथ धोए खाना खाते या चेहरा छूते हैं तो संक्रमण का ख़तरा बनता है।


किन वस्तुओं पर कितनी देर तक ज़िंदा रहता है कोरोना ?


सोशल मीडिया पर ये भी अफवाहें फैलाई जा रही है कि करोना एक बार अगर किसी व्यक्ति या वस्तु के सम्पर्क में जाने के बाद बहुत दिनों तक उसी के आस-पास होता है। तो हैरान होने की बात नहीं है।


दूध की थैली पर 16 घंटे तक
स्टील की बॉटल पर 3 दिनों तक
एल्मुनियम पर 6 घंटे तक
लकड़ी पर 4 दिनों तक
गत्ते में डिब्बा पर 24 घंटे तक
प्लास्टिक के बोतल पर 5 दिनों तक
कांच पर 4 दिनों तक
रबर पर 8 घंटे तक


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