फ्यूचर लाइन टाईम्स
कोरोनावायरस को लेकर प्रधानमंत्री ने आज फिर ट्वीट किया। उन्होंने कहा,-इससे घबराने की जरूरत नहीं है।' ऐसा ही उन्होंने सीएए के बारे में कहा था। उन्होंने तब कहा था,-इससे घबराने की जरूरत नहीं है, यह जान(क्षमा करें) नागरिकता लेने वाला नहीं, नागरिकता देने वाला कानून है।' इसके बावजूद दंगे भड़के और चार दर्जन से ज्यादा लोगों की जान चली गई। सरकार अब जांच करा रही है। जांच तो सुप्रीम कोर्ट भी कर रहा है कि यह कानून सही है या नहीं। जांच होने से जान वापस नहीं आती। मरने वालों के लिए जांच का कोई मतलब नहीं। जिनके मर गए हैं उन्हें भी जांच से क्या मिलने वाला है। यकीन न हो तो 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों से पूछा जा सकता है।अब तो उन्हें जगदीश टाईटलर और सज्जन कुमार जैसों के चेहरे भी याद नहीं।कोरोना से कहानी कहां पहुंच गई। प्रधानमंत्री कहते हैं तो भरोसा करना चाहिए परंतु कुछ देशों के प्रधानमंत्रियों को भी कोरोनावायरस की चपत लग गई है। अपने देश में कोरोना का कहर बढ़ रहा है और तापमान भी। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कोरोनावायरस धूप-ताप सहन नहीं कर पाता। अब उसकी चलने की क्षमता भी घटा दी गई है। पहले तीन मीटर तक चल रहा था, डॉ महेश शर्मा (सांसद गौतमबुद्धनगर) के मुताबिक उसकी चाल डेढ़ मीटर रह गई है। कहते हैं चीजें बढ़कर खत्म हो जाती हैं। क्या कोरोनावायरस का प्रकोप खत्म होने वाला है?काश कि ऐसा ही हो।अब तो प्रधानमंत्री भी कह रहे हैं।
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