फ्यूचर लाइन टाईम्स
देश की प्रजा की रुचि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने से आगे बढ़ चुकी है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रजा की नब्ज को पहचानता है। उसने अब महाराजा सिंधिया की अमीरात को खबर बनाया है। उनके ग्वालियर स्थित जयविलास पैलेस के सामने से लेकर महल के अंत:पुर तक के चित्र दिखाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि महाराजा सिंधिया मात्र चालीस हजार करोड़ रुपए की मालियत के स्वामी हैं। उनके महल में चार सौ कमरे, साढ़े तीन हजार किलो वजन के दो झूमर,महल की छत ओ दीवारों पर मढ़ा हुआ साढ़े चार सौ किलो सोना, स्वर्णजड़ित खाने की मेज और उसपर खाना लेकर दौड़ने वाली चांदी की रेलगाड़ी भी है। फिर महाराज दिल्ली में एक अदद सरकारी आवास (सांसद निवास) पाने को निष्ठा बदलने के लिए क्यों तैयार हुए? जयविलास पैलेस में अब भव्यता है, सत्ता नहीं। सत्ता के बिना महाराज की क्या औकात। सत्ता ने भी अब निवास बदल लिये हैं। सत्ता अब महलों में नहीं सांसद-विधायक आवासों में पायी जाती है। फिर भी प्रजा महाराजाओं के महल और उनके ऐश्वर्य को देखकर सुख पाती है।गुलामी की मानसिकता इसी से प्रकट होती है।
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