फ्यूचर लाइन टाईम्स
बादशाह अकबर को हाथियों से भिड़ने का शौक था। ऐसे ही एक मौके पर एक हाथी पगला गया और अकबर की जान पर बन आई। इस तमाशे को देख रहे राजा भारमल ने मुगल सल्तनत के जिम्मेदार लोगों को चेताते हुए कहा,-कुछ करो,अब यह खेल नहीं रहा।' प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में गुरुवार को जो कहा उसका सूक्ष्म संदेश यही है कि चाहे भारत में कोरोनावायरस का संकट उतना घना नहीं है परंतु अब यह मजाक अथवा खेल नहीं है।इसे महामारी घोषित किया जा चुका है। सरकार अपने स्तर पर युद्ध जैसी तैयारी में है। बाजारों, सड़कों पर भीड़ सिमट रही है।लोग एक-दूसरे से दूरी बना रहे हैं। कुछ समस्या समझ से परे होती हैं। कोरोनावायरस ऐसी ही समस्या है। इसका हमला अप्रत्याशित और अनोखा है। जागरूकता से बचाव की संभावना है।देशी नुस्खे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रख सकते हैं। सामान्य खाना खाने और जिह्वा के लालच में न आने से इस बीमारी का किसी हद तक मुकाबला किया जा सकता है। बूढ़े, कमजोर और किसी रोग से ग्रस्त लोगों की खास हिफाजत से भी फायदा ही होगा। प्रधानमंत्री के आगामी रविवार को 14 घंटे के 'जनता कर्फ्यू' से भी लाभ होगा। प्रकृति के प्रकोप की सूरत और हद अज्ञात होती है। हमें प्रकृति से उसके प्रति किये गये अपराधों के लिए क्षमा मांगने और भविष्य में उसके साथ खिलवाड़ न करने का संकल्प लेने का भी यह उचित समय है।
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