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कोरोना की वैश्विक यात्रा : राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि कोरोनावायरस दो मीटर से ज्यादा दूरी तक नहीं जाता है। यदि बात करते समय इतनी दूरी बना ली जाए तो कोरोना के काबू में आने से बच सकते हैं। मुझे इन दावों पर रत्ती भर भरोसा नहीं है। यदि ऐसा होता तो चीन के वुहान में पैदा होकर वह जापान, इटली, ईरान, फ्रांस और भारत तक कैसे पहुंच सकता था।सौ से अधिक देश फिलहाल कोरोना की चपेट में बताये जा रहे हैं।दो मीटर पर ही लड़खड़ाकर गिरने वाला कोरोनावायरस वैश्विक यात्रा पर है। बल्कि यात्रा नहीं वैश्विक हमले कर रहा है। जहां तक दो मीटर दूर रहकर बातचीत करने की बात है तो आजकल के परिवारों में तो यह व्यवस्था काफी पहले से है। एक ही छत के नीचे एक ही परिवार के सदस्यों के बीच किलोमीटरों के फासले हैं। एक मित्र के भूतल और प्रथम तल पर रहने वाले दो सगे भाइयों के बीच अरसे से वार्तालाप नहीं है। एक भाई के खुशी के कार्यक्रम के दिन दूसरा भाई बाहर जाने का कार्यक्रम पहले से बना कर रखता है। अब परिवारों में अन्तर्देशीय पत्र व्यवहार होता है। ऐसे प्रतिकूल माहौल में तो कोरोना की उत्पत्ति ही नहीं होनी चाहिए थी। परंतु कोरोना फैल रहा है।वह तेजी से अपनी वंशवृद्धि कर रहा है।उसका वंश विशेषज्ञों के स्थापित सिद्धांतों की परवाह नहीं करता। उसके लक्ष्य में ऐसे ही वंश हैं जिनकी वंश बेल विच्छेदित हो चुकी है।


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