फ्यूचर लाइन टाईम्स
यूं तो हर बरस इन्हीं दिनों होली होती है और इन्हीं दिनों मौसमी बीमारी भी आती हैं। परंतु इस बार कोरोना का जलवा है। चीन से इटली तक यदि कोई समानता है तो कोरोना के बूते है। इटली से हमारा बेटी रोटी का रिश्ता है। वहां के भांजे यहां के युवराज हैं।उनका इटली से संबंध है तो कोरोना से भी संबंध है। इसलिए भाजपा के दो जिम्मेदार सांसद उनकी प्यार से नहीं तो जबरदस्ती जांच कराने की मांग कर बैठे। होली के निकट आने के साथ होली का खुमार चढ़ने लगता है। इस बार कोरोना का खुमार चढ़ रहा है।देश के प्रधानमंत्री से लेकर चंगू-मंगू तक होली न खेलने की भीष्म प्रतिज्ञा कर रहे हैं। अभी शेष हिंदूवादी संगठनों के रुख का इंतजार है।हो सकता है उन्हें यह रवैया हिंदू संस्कृति विरोधी लगे और फिर राष्ट्रविरोधी लगने लगे। आजकल मसला चाहे जो हो हमला हिंदुत्व और राष्ट्रवाद पर ही माना जाता है। ऐसे में सीएए का क्या होगा?सीएए किससे होली खेलेगा? शायद वो एनपीआर का गुलाल लेकर एन आर सी से गलबहियां करे। हालांकि दस दिन पहले ही उसने सुर्ख गुलाल से दिल्ली में जो होली खेली है उसके बाद उस पर कौन सा रंग चढ सकता है।सुना है हुरियारे जहां से आये थे वापस भाग गये परंतु जिनके साथ होली खेली गई वो अब खुद को तलाश रहे हैं।
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