फ्यूचर लाइन टाईम्स
प्रोफ़ेसर जॉन्सहॉपकिंस ट्वीट करते हुए कहा कि गोमूत्र कोरोना वायरस को बंद नहीं करता है। अगर कुछ भी, यह और भी अधिक बीमारियों के लिए एक नुस्खा है।भारत को एक मार्गदर्शक के रूप में विज्ञान की आवश्यकता है।
अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि नहीं प्रोफेसर की ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि प्यारे प्रोफेसर आपको पता होना चाहिए कि पश्चिमी देश जब कबीलाई नंगे घूमते थे कच्चे मांस खाते थे शब्दो का ज्ञान तक नही था उस समय भारत के पास जीवन जीने की उच्च कोटी की चतुर्थ आश्रम व्यवस्था, कर्म अधारित वर्ण व्यवस्था थी, वेद,पुराण,संगीत,नृत्य,शल्य चिकित्सा,आयुर्वेद,योग,खगोलिय ज्ञान,वैदिक गणित व्याकरण,छप्पन भोग आदि के साथ-साथ समस्त जीव तत्व का ज्ञान साथ ही ब्रम्ह तत्व का ज्ञान था और भारत विश्व गुरु के साथ-साथ सम्पन्नता के प्रतिक सोने की चिड़िया थी,विश्व का कोहिनूर भारत था जिसको पश्चिमी देश के टाई वाले लुटेरे लूट कर ले गये,इस लिए शराब,बियर व मांस खाकर भारत को ज्ञान,विज्ञान,पर किसी को बेवजह प्रवचन देने की जरूरत नही,ये तो आपको पता ही होगा की आज भी जो एड्स,कोराना आदि फैला है वो भारत की देन नही है वो गैर भारतीय देशो आप लोगो की वजह से है बल्कि आज पूरा विश्व पूनः भारतीय संस्कार संस्कृति को हाथ जोड़कर अपना रहा है इसी में पूरे विश्व का भला है भारत एक योगवादी देश है गैरभारतीय भोग वादी बस यही द्वष्टिकोण का अन्तर हैं, सिर्फ अंग्रेजी बोलने से प्रोफेसर की डीग्री ले लेने से संस्कार नही आते,उसके लिए भारत आकर विश्व बन्धुत्व की भावना को समक्षना होगा जो व्यवहार में है,गौसेवा जीव सेवा करना होगा और गौमुत्र पीना होगा तब कुछ समझ आ सकता है,जैगौमाता की,परमात्मा सबका मंगल करें।
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