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तमंचे पे शाहीन बाग : राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


शाहीन बाग के आंदोलनकारियों पर एक युवक ने गोली चला दी। सरकार ऐसा नहीं चाहती थी इसलिए देश के गृहमंत्री ने पुलिस को कठोर कार्रवाई के आदेश दिए। गोपाल नामक यह युवक जेवर गौतमबुद्धनगर का निवासी बताया गया है। इस घटना को देखकर क्या अनुभव होता है? सियासत के संक्रमण काल में फंगस का उत्पादन एकाएक कई गुना बढ़ जाता है।फंगस जड़विहीन होती है। इसका सारा वजूद वातावरण पर निर्भर करता है। यह युवक फंगस या खरपतवार का प्रतीक है। सरकार को अभी सात आठ दिन और यह आंदोलन चलने देना है।जड़विहीन होने के कारण गोपाल जैसे युवा खुद पर नियंत्रण रख नहीं पाते। वक्त का साथ मिले तो खरपतवार फसल को भी दबोच लेती है। हालांकि शाहीन बाग के धरनारत लोगों को आंदोलनकारी कहना ज्यादती है।ये उकसाये हुए लोग हैं। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा इनका दिल्ली के चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए सदुपयोग कर रही है। बेशक सबकुछ मुफ्त के बल पर केजरीवाल पुनः दिल्ली की गद्दी हासिल कर लें परंतु नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध के बहाने मुस्लिम समुदाय खामाख्वाह उजागर हो गया है। यह भाजपा की बिसात है जिस पर भाजपा हार रही है परंतु मोहरे विरोधियों के पिट रहे हैं।


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