फ्यूचर लाइन टाईम्स
क्या भारत के चुनावों में प्रयोग की जाने वाली मशीन और दक्षिण के प्रसिद्ध अभिनेता रजनीकान्त की फिल्म ‘शिवाजी’ में कोई सम्बन्ध हो सकता है ? सुनने में यह आश्चर्यजनक लग सकता है; पर यह सम्बन्ध था सुजाता रंगराजन के रूप में। शिक्षा और पेशे से अभियन्ता सुजाता हृदय से बहुमुखी प्रतिभा के धनी कलाकार थे। उन्होंने इन दोनों ही क्षेत्रों में अविस्मरणीय कार्य किया।
भारत इलैक्ट्रोनिक्स में अपने कार्यकाल में उन्होंने इन मशीनों का विकास करने वाले दल का नेतृत्व किया था। मद्रास इन्स्टीट्यूट ऑफ टैक्नॉलॉजी से इलैक्ट्रोनिक्स परास्नातक कर सुजाता ने पहले नागरिक उड्डयन विभाग में काम किया। फिर वे भारत इलैक्ट्रोनिक्स बंगलौर में जनरल मैनेजर शोध एवं विकास के पद पर आ गये।
1952-54 में तिरुचिरापल्ली में स्नातक की पढ़ाई के समय वे प्रसिद्ध वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डा0 कलाम के सहपाठी थे। वे भी डा0 कलाम की तरह समय से आगे की सोचते थे। वोटिंग मशीन से बहुत पहले उन्होंने कम्प्यूटर में लिखने टाइपिंग की सुविधा देने वाले शब्द संसाधक वर्ड प्रोसेसर सॉफ्टवेयर के विकास में भी विशिष्ट योगदान दिया।
तकनीक के क्षेत्र में अपने काम के लिए 1993 में उन्हें राष्ट्रीय विज्ञान और टैक्नॉलॉजी परिषद ने पुरस्कृत किया। पुरस्कार उन्हें साहित्य और फिल्मों के क्षेत्र में भी पर्याप्त मिले। वे तमिल साहित्य में आधुनिकता की धारा बहाने वाले तथा विज्ञान-कथाओं के प्रामाणिक लेखक थे। तमिल सिनेमा में सफलता के कीर्तिमान बनाने वाली ‘शिवाजी’ और ‘दशावतारम्’ जैसी कई फिल्मों की पटकथा सुजाता रंगराजन की लेखनी से ही निकली।
साहित्यकार के रूप में उनकी प्रारम्भिक रचनाएँ प्रकाशित करने वाली पत्रिका का नाम भी ‘शिवाजी‘ ही था। विद्यार्थी जीवन में उन्होंने एक कहानी इस पत्रिका को भेजी थी। बाद में प्रसिद्ध ‘कुमुदम्‘ पत्रिका में उनकी पहली लघुकथा छपी। उन्होंने मणिरत्नम की मशहूर फिल्म ‘रोजा‘ के संवाद भी लिखे।
मणिरत्नम से उनका सम्बन्ध काफी घनिष्ठ था। उनकी इरुवर, कन्नाथिल मुथामित्तल, आयिथा एझुत्थु आदि कई फिल्मों के लिए सुजाता ने पटकथा या संवाद लिखे। दो फिल्में ‘ए पेक ऑफ द चीक’ और ‘फ्रॉम दि हार्ट’ पुरस्कृत भी हुईं। फिल्म निर्देशक शंकर की कई फिल्मों को भी उन्होंने अपनी लेखनी से समृद्ध किया, जिनमें बॉय्ज अन्नियान, इण्डियन, मुधालवन के नाम उल्लेखनीय हैं।
एक रोचक तथ्य यह भी है कि ‘रंग दे बसन्ती‘ फिल्म से प्रसिद्ध हुए अभिनेता सिद्धार्थ के जीवन में भी सुजाता का विशिष्ट योगदान है। उन्होंने सिद्धार्थ को शंकर की तमिल फिल्म ‘बॉय्ज‘ में काम दिलवाया।
सुजाता ने अमर तमिल कवि सुब्रह्मण्य भारती के बारे में एक फिल्म भी बनाई, जो काफी सराही गई। 100 से अधिक उपन्यास, 250 से अधिक लघुकथाएँ, दस विज्ञान-कथा पुस्तकें, दस नाटक और एक कविता संकलन के रचयिता सुजाता रंगराजन को तमिल साहित्य के सर्वोत्कृष्ट लेखकों में गिना जाता है।
सुजाता रंगराजन की हमारे लोकतन्त्र, साहित्य, तकनीक और सिनेमा जगत को अविस्मरणीय देन है। 72 साल की आयु में फरवरी 28, 2008 को चेन्नई में उनका निधन हुआ। भले ही वे अब नहीं हैं; पर वोटिंग मशीन के रूप में विश्व के सबसे बड़े और सफल लोकतन्त्र की नींव को सबल बनाने वाला उनका योगदान सदा याद किया जाएगा।
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