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मौन परमात्मा तक की यात्रा है समस्त समस्याओं का समाधान है मौन .. आचार्य निग्रह आर्य!

 फ्यूचर लाइन टाईम्स..


गाजियाबाद .... कवि नगर स्थित आर्य समाज मंदिर में योग की पाठशाला में प्राणायाम योग शिक्षक आचार्य निग्रह आर्य ने बताया की मौन अत्यंतिक अंतरिक्ष यात्रा है इस यात्रा में कोई सगी संबंधी सगा संबंधी नहीं है अकेले ही इस लंबी यात्रा को तय करना पड़ता है, अकेले होने का भय मौन की यात्रा में बाधक बन जाता है!जब तक हम किसी का साथ खोजेंगे, तब तक परमात्मा का साथ नहीं हो सकता है!मौन परमात्मा के साथ होने की यात्रा है! मौन में जब शरीर तथा मन की वाणी खो जाती है और हम शून्य हो जाते हैं नितांत स्वयं के साथ मन का भी विसर्जन हो जाता है, तभी ध्यान एवं समाधि के सुमन खिलते हैं तथा उसमें फैलती है अहिंसा एवं प्रेम की सुरभि जो जो दूर सदूर दिग दिगंत धरती और आकाश में परि व्यप्त हो जाती है!इस अवसर पर उन्होंने बताया कि साधु है या चोर पापी या फिर पुण्यवान ईमानदार या घूसखोर बेईमान निर्धन या धनवान अनपढ़ या गुणवान मूर्ख या विद्वान इस उलझन में ना पड़े, मौन की साधना करें आपके जीवन को रूपांतरित कर देगा! आप वही होंगे जो आप सनातन से हैं निष्कुलश, निष्पाप निर्मल दिव्य चिन्मय चैतन्य साधु या चोर के लेवल से मुक्त होंगे, क्योंकि यह सपने हैं!मौन हमें इससे पार ले जाता है और उलझनों से मुक्त करता है गहरे में मौन इन सपनों से जगाता है होश लाता है सपने सपने हैं बदलते रहते हैं जाने प्रयोग अत्यंत सरल है परंतु हम तथा हमारा जीवन कष्ट से भरा है!मौन जैसा सहज प्रयोग भी अत्यंत कठिन एवं प्रतीत होता है जबकि कुछ नहीं होता!मौन का स्वास्थ्य एवं आध्यात्मिक पक्ष सबल एवं सामर्थ्य तो है ही बल्कि पारिवारिक सामाजिक राजनीतिक पर्यावरणीय सौंदर्य और नैतिक संबंधों में संतुलन रखकर स्वास्थ्य एवं अन्य समस्याओं का समाधान करने में भी मौन सर्वाधिक सक्षम है!आचार्य जी ने बताया कि जैसे परिवार संगठन में किसी पुरानी बात को लेकर कहासुनी हो जाती है यहां तक कि उतारू हो जाते हैं संबंधों में दरार पड़ जाती है मन में गांठ पड़ जाती दिल में पाप हो जाते हैं क्रोध ईर्ष्या हिंसा द्वेष चरम स्थिति पर पहुंच जाते हैं ऐसी विषम परिस्थिति में बात के बढ़ने के पूर्वी मौन रखा जाए बोलने में सावधान रहा जाए तो मौन ही उपचार बन जाता है!उस स्थिति में मौन मरहम जैसी शीतलता प्रदान करता है!विषम और जटिल परिस्थितियां सहजता से ढल जाती हैं बिछड़ने नहीं पाती!उस अवस्था में मौन धारण करने वाले व्यक्ति के प्रति करुणा एवं प्रेम उपजता है, संबंध बिखर नहीं पाते एवं संगठन मजबूत एवं समस्याओं का समाधान सम्मिलित होता है!निग्रह आर्य ने बताया की मौन में सभी समस्याओं का समाधान सम्मिलित होता है, अतः विषम परिस्थितियों में मौन रखें!उन्होंने बताया कि देश में आपातकाल के समय राष्ट्र संत विनोबा ने मौन रखकर राष्ट्र की अनेक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया! बापू का अमोघ अहिंसात्मक अस्त्र मोहन तथा उपवास था! जिसके बल पर राष्ट्र स्वतंत्र हुआ!भारतीयों के लिए तो मौन धार्मिक जीवन शैली है!विनोवा ने मौन को अनुशासन पर्व से विभूषित किया जितना हो सके अनुशासन में रहकर मौन की साधना करें।मौन होने से मन की दुविधा ख़त्म हो जाती सभी इंद्रियां तथा व्रतियों की उद्दंडता नष्ट हो जाती है आत्मा का शासन होता है आत्मा के कहे अनुसार इंद्रियों तथा वृत्तियां संचालित होती हैं आत्मानुशासन की साधना है मौन। मौन द्वारा सृजनात्मक ऊर्जा बढ़ाने के अर्थात मौन साधना के प्रयोग मुख्य हैं -- संभव हो मौन रहे, उतना ही बोलो जितना आवश्यक हो, सुभाष चौक एक निश्चित समय निर्धारित करें उसे मौन के लिए सुरक्षित रखें, अब तक आपने बहुत शोरगुल किया है बड़ी-बड़ी बातें की हैं बहुत बोले हैं आप अबोल हो कर देखें अनमोल हो जाएंगे, कभी पेड़ फूल पौधे झरने नदी समुद्र या झील के किनारे बैठकर उनकी आवाज का संगीत सुनें मात्र सुने कोई प्रतिक्रिया ना करें उनका स्वर रहित संगीत सुनने में आप सक्षम हो सकेंगे, कभी वन उपवन पार्क में बैठकर चिड़ियों का संगीत जो कुछ भी आवाज स्वभाविक कृत्रिम या प्राकृतिक हो रही हैं उन्हें मात्र सुने अच्छा या बुरा चुने नहीं, मात्र सुने अंतर जगत में प्रवेश कर जाएंगे और उनके संपर्क में संगीत बन जाएगा अप्रतिम अनिवर्चनीय आनंद में डूब जाओगे, किसी फूल या पौधे के पास बैठ जाएं उसे देखें अच्छा या बुरा विश्लेषण ना करें मात्र निहारे सत्य के अंतर जगत में जहां असीम मौन का आनंदमय साम्राज्य है, प्रवेश कर जाएंगे।जैसा कि उसे उसी स्वरूप में बिना किसी चुनाव के निर्वासना अवलोकन मात्र से मौन घटता है।यही जीवन को सिद्ध करता है।


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