फ्यूचर लाइन टाईम्स
आदिल नगर लखनऊ में गायत्री परिवार ट्रस्ट हरिद्वार द्वारा संचालित 'समर्पण सीनियर सिटीजन होम' में चालीस वृद्ध स्त्री-पुरुष रहते हैं। एक बड़े परिसर लगभग दो हजार गज में साफ हवादार कमरे, डॉरमेट्री, बड़ा सा लॉन जिसमें मौसमी और दीर्घायु के अनेक पेड़ पौधे हैं। जहां धूप भी मिलती है और छांव भी। एक बड़ा डायनिंग हॉल है जिसमें अपनों से दूर किंतु अपने जैसों के साथ सभी लोग एक साथ भोजन करते हैं। एक पुस्तकालय और दवाखाना भी है। यह बाल संप्रेक्षण गृह नहीं है फिर भी मुख्य द्वार बंद ही रखा जाता है।मेजर वी के खरे मुख्य संयोजक के कुशल नेतृत्व में सभी का खास ख्याल रखा जाता है। यहां जीवन के तीसरे और चौथेपन को व्यतीत करने वाले ऐसे लोग हैं जो अपने दौर में खास महकमों में ओहदेदार रहे हैं। कानपुर के यूरिया कारखाने से सेवानिवृत्त ऐसे ही एक वृद्ध का इकलौता बेटा दुबई गया है कमाने। पत्नी ने दुनिया से विदा ली तो घर बार बेचकर यहां आ गये।वन विभाग में मुखिया रहे एक और वृद्ध अपनी पत्नी के साथ यहां रहते हैं। उनके दो बेटे हैं इसी शहर में। बेटों को फुर्सत नहीं या यूं कहिए कि मां पिता के साथ निबाह नहीं।आज उनकी पोती उनसे मिलने आयी थी। एक वैश्य परिवार की महिला अकेले रहती हैं।पति बहुत पहले स्वर्ग सिधार गए।दो बेटियां हैं अपने घर बार की। अपने घर में तला भुना, लहसुन प्याज सब खाती थीं। यहां सादा सात्त्विक भोजन करती हैं। तीनों ने बातचीत में यही कहा,-सब ठीक है।' ऐसा कहते समय चेहरे के भाव जुबान का साथ नहीं निभा पाते।हर मुंह से वाह के साथ
आह भी सुनाई देती है। अकेलापन बेगानों के साथ रहने का हुनर सिखा देता है।कब तक हैं यहां? इस सवाल के जवाब में ठहरी हुई ठंडी श्वांस ही सुनाई देती है।
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