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क्या बिहार भी जाएगा हाथ से... ?

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


पिछले वर्ष हुए महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव में करारी हार और हरियाणा में कम सीट मिलने के कारण बीजेपी को गठबंधन की सरकार बनानी पड़ी और हाल हीं में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी को एक बार और आम आदमी पार्टी ने बुरे तरीके से शिकस्त दे दिया। लेकिन इसी साल के अंत में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते बिहार की राजनीति में हलचल शुरू हो गया है और सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव को लेकर रणनीति बनाना प्रारंभ कर दी है। जिस प्रकार हरेक राज्यों में बीजेपी को करारी मिली है उसे देखते हुए अगर तैयारी नहीं हुई तो बिहार भि हाथ से निकल जाएगा। इसमें किसी भी प्रकार का प्रश्न नहीं बनता। एनडीए के सहयोगी तमाम राजनीतिक पार्टियों को ख़ाश तैयारी करने की ज़रूरत है क्योंकि बिहार में एनडीए की सरकार है और विपक्ष में कांग्रेस, राजद और हिंदुस्तानी आवम मोर्चा जैसे तमाम छोटी बड़ी राजनीति पार्टियां टक्कर देने को तैयार है। बिहार में अभी मुख्यमंत्री है नीतीश कुमार अभी मौज़ूदा समय में बिहार में एनडीए की सरकार है और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री है विपक्ष में राजद,कांग्रेस, हिंदुस्तानी आवम मोर्चा जैसे छोटी-छोटी राजनीतिक पार्टियां बिहार के रन में मौज़ूद है। 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने बिहार में हैट्रिक लगाई थी महागठबंधन को पूर्ण बहुमत मिल गया था। महागठबंधन ने 178 सीटें अपने नाम की तो एनडीए के खाते में महज 58 सीटें आईं।  RJD को 80, JDU को 71, कांग्रेस को 27 और BJP को 53 सीटों जी‍त नसीब हुई थी लेकिन ये गठबंधन ज्यादा दिन तक चल नहीं पाया और नीतीश कुमार गठबंधन से रुख़ मोडकर एनडीए के साथ सरकार बनाना सही समझा और अभी तक एनडीए की सरकार है। लोकसभा चुनाव के तरह आया परिणाम तो विधानसभा में भी सरकार बनना तय जिस प्रकार 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए फिर से परचंड बहुमत में साथ सत्ता में आई थी और बिहार के जनता ने एनडीए के ऊपर विस्वास जताया था अगर ठीक उसी प्रकार विधानसभा में भी वोटिंग होता है तो एक बार फ़िर बिहार में एनडीए की सरकार बनना तय है। क्योंकि जिस प्रकार 2019 के चुनाव में एनडीए के सहयोगियों के वोट प्रतिशत मिला था सरकार बनाने के लिए काफ़ी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की कुल 40 सीटों में से एनडीए गठबंधन ने 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं,  महागठबंधन का सूपड़ा साफ हो गया था और कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट हीं अपने नाम कर सकी थी। बिहार में बीजेपी ने जेडीयू, एलजेपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा तो आरजेडी कांग्रेस, आरएलएसपी और वीआईपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन कोई चमत्कार नहीं हो सका था।


लालू बिन सब सुन...
लालू यादव चारा घोटाला में सज़ायाफ्ता है और ऐसा पहली बार होगा जब बिहार में विधानसभा चुनाव होगा और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद हवालात में रहेंगे। राजद के पितामाह माने जाने वाले जब जेल में सज़ायाफ्ता है तो लाजमी है कि राजद को विधानसभा चुनाव 2020 में नुकसान होगा इसका जीता जागता उदाहरण 2019 के लोकसभा चुनाव है।


प्रशांत किशोर होंगे मुख्य रोल ?


जिस प्रकार प्रशांत किशोर केंद्र सरकार के यूपर अपना तीखा तेबर अपना रहें है ऐसा हीं तेबर आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भी रहा तो एनडीए के सहयोगी दलों की मुश्किलें बढ़ सकती है। दिल्ली का विधानसभा चुनाव जीता जागता उदाहरण है जिस प्रकार प्रशांत किशोर दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप 'आम आदमी पार्टी' को सपोर्ट किया अगर उसी तरह राजद को सपोर्ट कर दिए तो बिहार के राजनीतिक समीकरण में भूचाल आना तय माना जायेगा।


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