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अखबारों की स्याही अब सूखती नहीं : राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


वाराणसी में एक व्यापारी ने बीमारी और धनाभाव की चुनौती को कुछ इस अंदाज में खारिज किया कि अपनी पत्नी,18 वर्ष के पुत्र और 16 वर्ष की बेटी की गला दबाकर हत्या करने के बाद खुद को भी फांसी लगा ली। यह रोंगटे खड़े करने वाला हत्याकांड खुदकुशी नहीं फरवरी 14 को  अल्लसुबह का है। यह खबर अखबार के जिस पन्ने पर छपी थी वहीं एक खबर और थी,-'कागजों में तीन सौ सड़कें बनाने वाला अधीक्षण अभियंता बर्खास्त।' यह खबर लखनऊ से थी। तारीख बदलने से अखबारों की तासीर नहीं बदलती।16 फरवरी के अखबारों में दो खबरें कलेजे का इम्तिहान ले रही थीं। साहिबाबाद के लिंक रोड थाना क्षेत्र में एक लड़की ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपनी मां की सिलबट्टे से सिर फोड़ कर और गला दबाकर हत्या कर दी थी। लड़की नाबालिग बतायी गई है जबकि मृतका दिल्ली पुलिस की हेड कांस्टेबल थी। फरवरी 15 को ही गौतमबुद्धनगर के कलौंदा गांव में एक पुत्र ने पिता की धारदार हथियार से सिर पर वार कर हत्या कर दी। पुलिस कहती है कि मृतक अपने बेटे को अच्छा इंसान बनने के लिए उकसाता था।दो जवान बच्चों की और पत्नी की गर्दन दबाने वाले वाराणसी के व्यापारी चेतन तुलस्यान के हाथों में भगवान ने ऐसी बेरहम ताकत कैसे दे दी।गोद में खिलाने वाली मां का सिर कुचलने वाली बेटी को वीरता का पुरस्कार कौन देगा।बेटे के हाथों लहुलुहान हो कर मौत की नींद सोने वाले पिता की अर्थी को उठाकर कंधे पर रखने वाले हाथ खून से कैसे रंगे जा सकते हैं। और हां गुमनाम फाइलों में तीन सौ सड़कें बनाने वाले अधीक्षण अभियंता का शिरोमणि पुरुस्कार पर तो चर्चा अभी शेष है।रोज अपराध होते हैं। रोजाना भ्रष्ट अधिकारियों, नेताओं के खिलाफ सख्ती की खबरें सुर्खियां बनती हैं। अखबार रोज छपते हैं। उनके पन्नों पर छपी खबरों की स्याही सूखती नहीं है कि उससे पहले अगले दिन का अखबार आ जाता है। और ज्यादा सुर्ख, और ज्यादा काला।


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