फ्यूचर लाइन टाईम्स
समाचार माध्यम बता रहे हैं कि 2007 से 12 की मायावती सरकार के मंत्री रंगनाथ मिश्रा ने उन पांच वर्षों में ईमानदारी से कमाये थे एक करोड़ सत्तावन लाख परंतु उनके द्वारा खर्च की गई रकम थी सात करोड़ इकसठ लाख रुपए। मौजूदा भाजपा सरकारें निचले स्तर पर उतर आई हैं। काजल की कोठरी में जब कोई सयाना बचता ही नहीं है तो रंगनाथ मिश्रा से यह अपेक्षा क्यों। उन्होंने कुछ सौ करोड़ की हेरफेर की। मायावती के सगे भाई आनंद क्या कोयले की खान में टोकरी ढोकर कमाते थे। उन्होंने कुछ हजार करोड़ इकट्ठा किए। सरकार ने हाथ डाला था।भाई का कॉलर पकड़ कर बहिन से पूछा,-बोल इसके साथ क्या सलूक किया जाए।' बहिन ने इशारों पर नाचने की हामी भरी और मामला तभी से शीतगृह में है। मुलायम सिंह बेहतर दोस्त होने का फायदा उठा रहे हैं।माल तो उधर भी ज्यादा ही है। राजनीति को यदि परस्पर सहयोग की नीति कहा जाए तो कैसा रहेगा। वैसे भाजपा भी यारों की यार है परंतु इसका सिद्धांत अपने यारों को दण्डवत लिटा कर उनसे पैबोस चरण चुमवाना कराना है।
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