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नोएडा प्राधिकरण, अफसरों को समझना मुश्किल है : राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


योगी सरकार खुश है कि उसके राज्य भर में फैले अफसर लोगों के दुख-सुख सुनने को सुबह से ही अपने दफ्तरों में बैठ जाते हैं।लोग खुश हैं कि उनके दुख दर्द सुने जा रहे हैं। परंतु असलियत क्या है?आज सुबह प्राधिकरण की मुखिया तकरीबन तीन दर्जन लोगों में से प्रथम आने वाले एक दर्जन लोगों से ही मिलीं।शेष दो दर्जन लोगों को एक अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पास भेज दिया गया।अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी इस बात से हैरान थे कि दूर दराज से अपने दुख दर्द लेकर आने वाले लोगों से अधिकारी नहीं मिलते हैं। लोगों पर उनकी इस संवेदना का असर हुआ। अधिकारी महोदय ने लोगों से उनकी समस्या पूछनी प्रारंभ की और बहुत भीड़ का हवाला देते हुए हर एक को फिर आने का सुझाव देते हुए बाहर का रास्ता दिखा दिया। भारत के नागरिकों की इस विशेष नस्ल आईएएस को समझने के लिए जनता और योगी सरकार को कई जन्म भी कम पड़ेंगे।काम किये बगैर काम हो जाने, दुख सुने बगैर पीड़ा हर लेने और संवेदनशील होने की गहरी छाप छोड़ देने की जो चतुराई अफसर जमात में है वह अन्यत्र दुर्लभ है। भगवान को भी अपनी इस रचना पर खुद को लानत भेजने का मन करता होगा।


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