-->

जीवेत शरद शतम् : राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


संस्कृत का उपरोक्त वाक्य यदि आयु का उचित पैमाना है तो मैंने कल जीवन का आधा सफर पूरा कर लिया। आगे का सफर आज से शुरू हो गया। बीसवीं सदी के सत्तरवें साल में आज की दिनांक में मैंने एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म लिया। मेरे पिताजी कभी विद्यालय नहीं गये थे परंतु उनकी बुद्धि विलक्षण थी। फिल्म, साहित्य, समाज, राजनीति का उन जैसा ज्ञान मुझे अन्यत्र कम देखने को मिला। उन्होंने सादा जीवन जिया और धन, प्रतिष्ठा,लोभ जैसे आकर्षण उन्हें कभी भी पथभ्रष्ट नहीं कर सके। उनकी जिन बातों को हमने जवानी के जोश में नकार दिया था,उन बातों के स्मरण से हम आज मार्गदर्शन पाते हैं। उन्होंने हम सभी भाई बहनों को यथासंभव शिक्षित करने का प्रयास किया।मुझ पर उनका सर्वाधिक भरोसा था। यह आलोचना का विषय हो सकता है कि मैं उनके भरोसे पर कितना खरा रहा परंतु सक्षम बनने की अतीव इच्छा ने मुझे किशोरावस्था से ही घर परिवार की जिम्मेदारी ओढ़ा दीं। मैंने बड़े और छोटे चचेरे भाइयों की नौकरियां लगाईं और उनके दुख दर्द में यथासंभव सहयोग किया। पढ़ने में श्रेष्ठ होने के बावजूद मेरी शिक्षा टुकड़ों में हुई। मैं परिवार और रिश्तेदारों के लिए हमेशा आशाओं का केंद्र बना रहा। इसलिए कभी कभी मुझे स्वयं के महामानव कृष्ण जैसा होने का भ्रम भी हुआ। हालांकि मैं अनेक अवसरों पर नाकाम रहा और बार-बार यह भ्रम टूटा। हमारी मां एक अति साधारण घरेलू महिला हैं जिन्हें न मुंशी प्रेमचंद से कुछ लेना है और न मोदी की विदेश नीतियों से। वो निरक्षर हैं परंतु उनसे अच्छा खाना कौन बना सकता है। तो कल जीवन के पचास वर्ष बीत गए। बीते जीवन में झांकना दुखद भी है और सुखद भी।मेरा जीवन उपलब्धियों भरा रहा है। पत्रकारिता के पेशे में मैंने ज़मीन पर खड़े होकर आसमान छूने का सुख पाया है।गुजारे से अधिक धन का लोभ न होने से मेरी मेरूरज्जू(रीढ़ की हड्डी)आज भी सीधी है जिसका मुझे अहंकार की हद तक गर्व है। चापलूसी का सबक न सीख पाने का नुक़सान बस इतना रहा कि कुछ अच्छे अवसर भी हाथ से निकल गये। इसके बावजूद जीवन में अनेक अवसरों पर लिए गए निर्णयों और किये गये व्यवहार के कारण यदा-कदा पश्चाताप से भर उठता हूं परंतु उन अवसरों को वापस लाकर गलतियों को सुधारने का अवसर किसी को नहीं मिलता, मुझे भी नहीं मिल सकता।पचास वर्षों की यही इतनी कहानी है।आपकी, स्नेहीजनों की और जो फूटी आंख नहीं देखना चाहते,उन सबकी दुआ-बद्दुओं के साथ आगे का सफर शुरू कर रहा हूं।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ