फ्यूचर लाइन टाईम्स
कोई भी पैदाइशी भ्रष्ट नहीं होता।दवेंद्र सिंह ने भी प्रांतीय पुलिस सेवा में शामिल होते समय नहीं सोचा होगा कि जिस विभाग में वह अधिकारी बना है उसी विभाग के लोग एक दिन उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ करेंगे। यह वक्त वक्त की बात नहीं है। आदमी के कर्म उसके भविष्य की इबारत लिखते हैं। पंजाब में आतंकवाद के दौरान सरकार ने हौंसला बनाये रखने के लिए पुलिस को आतंकियों से बरामद धन-संपत्ति को खुद ले लेने का अघोषित अधिकार दिया था। एक डीएसपी इस व्यवस्था के तहत ज्यादा आगे बढ़े और एक आतंकी को हिरासत में लेकर उसकी जमीन जायदाद ही अपने नाम रजिस्टर्ड कराता हुआ वह गिरफ्तार हुआ था।दवेंद्र सिंह उस डीएसपी का नवीनतम संस्करण है। पुलिस, सेना और खुफिया एजेंसियों के जिम्मेदार लोगों द्वारा निजी स्वार्थ में अंधे होकर देश की सुरक्षा दांव पर लगाने का यह अभूतपूर्व मामला नहीं है तो भी जनमानस को झकझोरता अवश्य है। हमें नहीं पता कि जिसे हम अपना रखवाला मानकर निश्चिंत हैं, वह वास्तव में है कौन। बाड़ खेत को बचाने के लिए लगाई जाती है, यदि वही खेत को खाने लगे तो? दवेंद्र सिंह ने इस सवाल को फिर जिंदा कर दिया
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