फ्यूचर लाइन टाईम्स
झूठ रंगहीन,गंधहीन, स्वादहीन नहीं होता। झूठ आमतौर पर धुंधले किस्म का होता है परंतु कभी कभी यह पूरी तरह सफ़ेद हो जाता है। हालांकि ऐसा केवल तभी होता है जब उसकी तत्काल कलई खुल जाए। ऐसा हमेशा नहीं होता इसलिए झूठ को उजला रंग बामुश्किल ही मयस्सर होता है। इसका मतलब यह कि झूठ काला भी होता है।काला झूठ सच के गर्भ से पैदा होता है। कभी डेढ़ सौ का नकली नोट चलते देखा है? हमेशा असल की नकल होती है।काला झूठ अत्यंत पीड़ादायक होता है। यह भ्रम पैदा करता है। निर्णय तक पहुंचने में बाधक बनता है। नेताओं के वादे काले झूठ के सच्चे उदाहरण हैं। उनकी सहानुभूति मति हर लेती है। मालूम नहीं चलता कि हाथ हिलाकर साथ देने की बात की जा रही है या टाटा-बाय बाय की जा रही है।काला झूठ सफेद झूठ का सहोदर नहीं होता।असल झूठ काला ही होता है। सदियों से यदि झूठ वजूद में है तो अपने कालेपन की वजह से है। इसपर कोई और रंग चढ़ता भी नहीं है।
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