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ये गोलचक्कर किस काम के : राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


नोएडा-ग्रेटर नोएडा की सीमाओं नोएडा एक्सटेंशन और ग्रेटर नोएडा वेस्ट पर स्थित दो गोलचक्कर एक सेक्टर १२२ के कोने पर और दूसरा किसान चौक को देखकर क्या अनुभव होता है? किसान चौक गोलचक्कर पूरी तरह बंद है। सेक्टर १२२ वाला आधा खुला है। इनपर रोजाना जाम लगता है।शाम को कई बार आधा घंटा भी लग जाता है गोलचक्कर से पार पाने में। यहां यातायात पुलिस को लगाना पड़ता है। क्या गोलचक्कर इस व्यवस्था के लिए बनाए जाते हैं?ये दोनों गोलचक्कर कोई ऐतिहासिक महत्व के भी नहीं हैं कि इनको अक्षुण्ण रखने की बाध्यता हो। अभियांत्रिकी के इस युग में भौतिक बाधाओं से मुक्ति कोई मुश्किल काम नहीं है। फिर भी गोलचक्करों का बोझ ढोया जा रहा है। नोएडा की अधिकांश सड़कें सरपट दौड़ने के लिए मुफीद नहीं हैं। ऊंची-नीची, ऊबड़-खाबड़ और तमाम अवरोधों से भरी। ऊपर से गोलचक्करों की जबरदस्ती।अब से सौ बरस पहले जब लुटियंस और हरबर्ट रसेल जैसे अंग्रेज वास्तुविदों ने नई दिल्ली की परिकल्पना में रोटरी (गोलचक्कर)को जोड़ा तो वह समय घोड़े गाड़ी का था।आज तीव्रगामी गाड़ियों के युग में गोलचक्कर सड़कों की उपयोगिता को घटाते हैं। गोलचक्कर जहां भी हैं,जाम का कारण हैं। नोएडा ग्रेटर नोएडा के ये दोनों गोलचक्कर भी समस्या हैं। अभियंताओं और यातायात पुलिस इन्हें हटाने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं परंतु नवयुग का संकेत दे रहीं नोएडा की सीईओ रितु माहेश्वरी को किससे इजाजत लेनी है। शायद उन्हें इस समस्या का ज्ञान नहीं है।


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