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कृष्ण को सोलह हजार वेद की ऋचाएँ अर्थात वेद मन्त्र उनके कण्ठस्थ थे

 फ्यूचर लाइन टाईम्स


संसार कहता है कि महाराज कृष्ण की सोलह हजार रानियाँ थी। संसार ने महाराज कृष्ण को जाना ही नहीं । मुनिवरो ! हमें भगवान कृष्ण के जीवन को देखने का सोभाग्य मिला और हम गौरव के सहित कहा करते हैं कि भगवान कृष्ण पर्जन्य नाम के ब्रह्मचारी कहलाते थे और सोलह हजार वेद की ऋचाएँ अर्थात वेद मन्त्र उनके कण्ठस्थ थे और हर समय उन ऋचाओं में मुग्ध रहा करते थे। उनकी पत्नी रुक्मणी उनसे कहा करती थी कि प्रभु आप तो हर समय इन वेद रूपी गोपिकाओं में रमण करते रहते हैं, तो उस समय भगवान कृष्ण कहा करते थे कि हे देवी! परमात्मा ने इस वेद रूपी अमूल्य प्रकाश को जानने के लिए हमें उत्पन्न किया है। आज इस प्रकाश को जानना है। जिस प्रकाश को जानकर मानव अमरावती को प्राप्त हो जाता है और उसके द्वारा वेद की भावनाएं उत्पन्न होकर संसार सागर से पार होकर मोक्ष की पगडण्डी को प्राप्त कर लेता है।


-ब्र कृष्णदत्त पूर्वजन्म में श्रंगी ऋषि


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