फ्यूचर लाइन टाईम्स
वसई बंगली नाका लोकसेवा मंडल सभा गृह में किंजल चैरिटेबल ट्रस्ट लायंस क्लब व सेवाभावी चैरिटेबल ट्रस्ट आयरन चैरिटेबल ट्रस्ट की तरफ से आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता विजय पाटिल जी ने कि जिसमें मुख्य रूप से समाज सेवक शम्श पठान साहब व समाज सेवक शाहिद शेख मुन्ना बंड साहब बॉप्टीट लोपीस व रविन्द्र सोनावणे आदि मौजूद रहे आपको बता दे कि
दिसम्बर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकलांगों को दिव्यांग कहने की अपील की थी। जिसके पीछे उनका तर्क था कि शरीर के किसी अंग से लाचार व्यक्तियों में ईश्वर प्रदत्त कुछ खास विशेषताएं होती हैं। विकलांग शब्द उन्हे हतोत्साहित करता है। प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर देश के लोगों ने विकलांगो को दिव्यांग तो कहना शुरू कर दिया लेकिन लोगों का उनके प्रति नजरिया आज भी नहीं बदल पाया है।
आज भी समाज के लोगों द्धारा दिव्यांगों को दयनीय दृष्टि से ही देखा जाता है। भले ही देश में अनेकों दिव्यांगों ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया हो मगर लोगों का उनके प्रति वहीं पुराना नजरिया बरकरार है।
कब मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस?
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1992 में हर वर्ष 3 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के रूप में मनाने घोषणा की गई। इसका उद्देश्य समाज के सभी क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को बढ़ावा देना और राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन में दिव्यांग लोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। मगर आज के समय में भी अधिकतर लोगों को तो इस बात का भी पता नहीं होता है कि हमारे घर के आस-पास कितने दिव्यांग रहतें हैं। उन्हे समाज में बराबरी का अधिकार मिल रहा है कि नहीं। किसी को इस बात की कोई फिकर नहीं हैं। यह एक कड़वी सच्चाई है कि भारत में दिव्यांग आज भी अपनी मूलभूत जरूरतों के लिए दूसरों पर आश्रित है।
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