-->

सूर्य ग्रहण दिसंबर 26,2019  न डरें - न डराएं

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


ग्रहण प्रारंभ = 8:17 A.M. प्रातः
ग्रहण समाप्त = 10:57 A.M


सूर्यग्रहण मतलब जब सूर्य और भूमि के मध्य चन्द्रमा आता है तब सूर्यग्रहण होता है । सूर्यग्रहण से कोई व्यक्ति धनिक, दरिद्र, राजा, रंक नहीं बनता परन्तु अपने कर्मों से बनता है । कर्मों की गति सच्ची होती है, ग्रहों की गति सुख दुःख भोग का कारण नहीं होता क्योंकि ग्रहों की स्थिति कर्त्ता व कर्मों से दूर है अतः इनका सीधा सम्बन्ध नहीं है । परमात्मा ही कर्मों के फल को देने वाला है क्योंकि उसी ने जड़ जगत्, जीव का ग्रहण करके रखा है ।


ग्रहण के समय सत्य का ग्रहण करें और असत्य का त्याग करें । यजुर्वेद 1/5


ग्रहण के समय गुणों का ग्रहण करें , अवगुणों का त्याग करें । यजुर्वेद 30/3


धर्म का ग्रहण, वेदमत का ग्रहण, विद्या का ग्रहण अवश्य करें ।


25 शाम से प्रारम्भ होने वाले सूतक आदि का भय रखने की आवश्यकता नहीं, पातक से भय नहीं, ....बस जीवन सरल रखें वही पर्याप्त है । 


यह सूर्यग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा


अमावस्या वाले दिन लगने वाला सूर्यग्रहण 2 घंटे 40 मिनटों तक रहेगा । 


ओ३म्  जप नित्य की भाँति करते रहें, विद्वानों को दान सदा सर्वदा दें, मूर्खों-ठलुओं-दुष्टों को दान कभी न दें ।


देवस्थान के कपाट कभी बन्द न करें, प्रातः-सायं नियम से अभय होकर सन्ध्या, यज्ञ करें । 


"एक दिन स्वामी दयानन्द जी अपने आसान पर विराजमान थे। लोग अपनी अपनी शंकाओं का उनसे समाधान पूछ रहे थे। डिबाइ निवासी शिवदयाल ने पूछा, "भगवन! सूर्यग्रहण के समय भोजन करना चाहिए या नहीं? " स्वामी जी ने उत्तर दिया, "जब भूख लगे तब भोजन कर लेना चाहिए। ग्रहण प्रभाव भोजन पर नहीं पड़ता। राहु द्वारा सूर्य- चंद्र के ग्रस्त होने की बात निरी मनगढ़त हैं। " सिद्धांत शिरोमणि और सूर्यसिद्धांत आदि ज्योतिष ग्रन्थ बताते हैं कि सूर्यग्रहण सूर्य पर चन्द्रमा की छाया पड़ने से और चंद्रग्रहण चंद्र पर पृथ्वी की छाया पड़ने से होता हैं।


शिवदयाल स्वामी जी के शंका समाधान से संतुष्ट हो गए।


सन्दर्भ- पुस्तक महर्षि दयानन्द, यदुवंश सहाय पृष्ठ 96 सत्यार्थ प्रकाश के 11वें समुल्लास में सूर्यग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र आदि में स्नान करने को भी स्वामी पाखंड और अन्धविश्वास मात्र बताते है।


 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ