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शौक सभा की उपस्थिति

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


एक शोक सभा में जाना हुआ। सियासी रसूखदार के प्रियजन का देहान्त हुआ था, भीड़ खूब होनी थी सो हुई। आने वाले तिरछी नजरों से अपनी पहचान वालों को देखते और खुद को दिखाते हुए प्रथम कर्तव्य की तर्ज पर हुतात्मा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे। पंडित जी का प्रवचन चल रहा था,-आत्मा अविनाशी है परंतु देह के द्वारा मन, वचन, कर्म से पवित्र आत्मा ही स्वर्गारोहण करती है।" आने वाले तिरछी निगाहों से यह देखना नहीं भूलते थे कि जिस सूर्य से यह तारा चमक पाता है वह आया है या नहीं। पुष्पांजलि अर्पित करते समय यह ध्यान रखना आवश्यक होता है कि उसने देखा या नहीं। भीड़ बढ़ रही थी, लोग धैर्य पूर्वक मुख्य अतिथि की प्रतीक्षा कर रहे थे। पंडित जी ने प्रवचन आगे बढ़ाया,-जीवन से मृत्यु उतनी ही दूर है जितनी दूरी एक सांस से दूसरी सांस।" इतने में गाड़ियों के सायरन बजने की आवाज आई और उपस्थित भीड़ ने राहत की सांस ली कि अब तो माता जी का भवसागर पार जाना सुनिश्चित हो ही गया क्योंकि तारणहार जो आ गया था। पता नहीं नेताजी कभी माता जी से मिले भी थे परंतु उन्होंने हुतात्मा के जो गुण बताए शायद उनके पुत्र भी नहीं जानते थे। पंडित जी कह रहे थे,-मां से बढ़कर इस दुनिया में कोई नहीं है।देह न रहने पर भी मां अपने बच्चों पर आशीर्वाद की अमृत वर्षा करती रहती है।" वहां आए दूसरे खास लोगों ने भी माइक पर ऐसे ही कसीदे पढ़े। कार्यक्रम समाप्ति की ओर बढ़ चला। पंडित जी ने गायत्री मंत्र का उच्चारण प्रारंभ किया तो लोगों ने शीघ्रता से अपने व्हाट्स ऐप और फेसबुक समेटकर सुर में सुर मिलाया,-ॐ भूर्भुवः स्व............।


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