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शादी के कितने नचनिये : राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



विवाहों में नाचना खुशी प्रकट करने का सबसे सरल तरीका है। समूची दुनिया के हर हिस्से के सभी धर्म, संप्रदायों, कबीलों में विवाह में नाचने का प्रचलन है। क्या विवाह में नाचने वाले सभी लोगों को खुशी होती है? विवाह में अमूमन चार प्रकार के लोग नृत्य करते पाए जाते हैं। सर्वप्रथम बैंड बाजा वाले, उन्हें अपने धंधे के अधीन नाचना होता है। दूसरे वे लोग हैं जिन्हें नाचने का शौक होता है। ऐसे लोगों की अपनी खुशी होती है, शादी चाहे जिस किसी की हो।भरी सर्दी में शर्ट उतारकर नाचने वाले ऐसे लोगों की पहचान छिपाये नहीं छिपती।इनका नृत्य इनके टशन का भी परिचय देता है। तीसरे स्थान पर वो लोग आते हैं जिन्हें वास्तव में खुशी होती और खुशी के उद्वेग में नाच उठते हैं। माता-पिता, भाई-बहन और कुछ खास मित्र इसी श्रेणी के नर्तक हैं।नाच न आने पर इनका थिरकना देखने लायक होता है। परंतु चौथे प्रकार के नाचने वाले इनमें सबसे अलग होते हैं।ये न पेशेवर होते हैं और न नाचना इनका शगल ही होता है। इन्हें खुशी भी नहीं होती। दरअसल ये लोग घर कुनबे और रिश्ते के वो लोग होते हैं जिनकी दुल्हे या दुल्हन के माता-पिता से अनबन होती है और मान मनौव्वल अथवा समाज के दबाव में विवाह में शामिल होते हैं। इन्हें विवाह में अनमने मन से परंतु बढ़-चढ़कर नाचते देखा जाता है। ऐसे लोग विवाह के मुखिया और दूसरे जिम्मेदार लोगों को दिखा दिखा कर नाचते हैं। यदि ऐसा संभव न हो तो ये लोग वीडियोग्राफर के सामने नाचते हैं।इसे मजबूरी का दिखावे वाला नाच कहा जा सकता है। शादी विवाह  में सबसे अविश्वसनीय नाचने वाले यही लोग हैं। इन्हें नाचते देखना विशेष आनंददायक होता है। इन्हें देखकर स्वयं भगवान नटराज हतप्रभ रह जाएं और आम्रपाली विस्मित हो उठे। नृत्य कला के क्षेत्र में इनका योगदान किसी से क्या कम 


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