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सर्दियों से ना अंखियां मिलाना : राजेश बैरागी

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


सर्दी जब रजाई भेदने लगे तो समझ लीजिए मामला गंभीर हो चला है। मौसम विभाग कहता है कि अर्से बाद ऐसी ठंड पड़ रही है। हालांकि हर साल कुछ दिनों के लिए ठंड ठीक-ठाक हमलावर होती ही है परंतु इस साल जो सितम है वह उत्तर प्रदेश पुलिस जैसा है कि पीटे भी और पिटाई भी ले। ठंड को राजनीति से जोड़ना ठीक नहीं वर्ना ऐसी ठंड में यदि आपसे नागरिकता पूछ ली तो? हां तो बात सर्दी की हो रही थी और सूरज देवता से ठीक से निकला भी नहीं जा रहा है कि उन्होंने ग्रहण का शौक और पाल लिया है। ऐसे में चन्द्रमा को ग्रहण लगे तो भी ठीक है। मालूम हुआ है कि सर्दी का साथ निभाने को बारिश मोहतरमा भी बेताब हैं जो अपने पुरुष मित्र बादल के साथ आकाश के पर्यटन पर हैं।जब सब सितम ढाने लगते हैं तो बेचारी धरती क्या करे।न उगलते बनता है और न निगलते। कमबख्त हवाओं का यह हाल है कि बंद कमरों में भी घुसी चली आ रही हैं रोहिंग्याओं की तरह।जब गर्मियों में इसकी बहुत जरूरत होती है तो यह दाऊद, ललित मोदी,नीरव मोदी-मेहुल चौकसी और विजय माल्या की तरह पता नहीं कहां कहां भाग जाती है। क्या इन्हें वापस अपने वतन नहीं लाया जा सकता? हवा बदलेगी तो पूछेंगे। फिलहाल तो पेड़ों के पत्ते भारत माता के आंसुओं की तरह धारा प्रवाह झर रहे हैं। मैंने पूछा तुम्हारा ये हाल क्यों हुआ तो बोले,-वसंत ऋतु आयेगी तो हम भी आयेंगे। अभी तो एनपीआर आने वाला है, अपने होने के दस्तावेज तो बनवा लें।


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