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रंजन गोगोई : ऐतिहासिक फैसलों के लेखक

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


2019 जिन उल्लेखनीय फैसलों, घटनाओं और गतिविधियों के लिए जाना जाएगा उनमें सबसे महत्वपूर्ण और दूरगामी असर वाला है अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला


चार सदी से अधिक पुराने अयोध्या विवाद के निपटारे के लिए जो कोशिश प्रधान न्यायाधीश माननीय दीपक मिश्रा ने शुरू की थी उसे माननीय रंजन गोगोई ने न केवल आगे बढ़ाया, बल्कि 9 नवंबर को अंजाम तक भी पहुंचाया,श्री गोगोई सुप्रीम कोर्ट की कमान संभालने के पहले ही चर्चा में आ चुके थे और इसका एक बड़ा कारण उनका उन चार न्यायाधीशों की चर्चित प्रेस कांफ्रेस में शामिल होना था जो चीफ जस्टिस माननीय दीपक मिश्र के तौर तरीकों के खिलाफ आयोजित की गई थी और जिसने न्यायपालिका के साथ विधायिका और कार्यपालिका में भी भूचाल सा ला दिया था


प्रधान न्यायाधीश बनते ही माननीय रंजन गोगोई ने पहले तो यह साफ किया कि वह कहने नहीं, चुपचाप अपना काम करने में यकीन रखते हैं और फिर अक्षरशः ऐसा ही किया; सुबूत तो नहीं लेकिन संदेह है कि शायद इसी कारण मीडिया के एक खास हिस्से ने एक महिला को आगे कर उनके खिलाफ दुष्प्रचार भरा अभियान छेड़ा, इसे दरकिनार कर श्री गोगोई अपने काम में जुटे रहे, उन्होंने अयोध्या मामले में तारीख पर तारीख के निराश हताश करने वाले सिलसिले पर लगाम लगाने के साथ ही यह तैय किया कि उनकी अध्यक्षता वाली संविधान पीठ लगातार 40 दिनों तक सुनवाई कर अयोध्या मामले का निपटारा करेगी .


यह निपटारा इसलिए और खास हो गया, क्योंकि इस पीठ के पांचों न्यायाधीश इस नतीजे को लेकर एकमत थे कि अयोध्या की विवादित भूमि पर रामजन्मभूमि मंदिर पक्ष का ही दावा मजबूत है


असम में जिस एनआरसी को लेकर हल्ला मचा है, उसकी निगरानी करने वाली पीठ के अध्यक्ष भी माननीय रंजन गोगोई ही थे और उनका गृहराज्य भी असम ही है


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