फ्यूचर लाइन टाईम्स
रहिमन अॅसुवा नयन ढरि जिय दुख प्रगट करेई
जाहि निकारो गेह तें कस न भेद कहि देइ ।
अर्थ : अनेक प्रयास के बाबजूद आॅखों के आॅसू ढुलक कर हृदय के दुख को प्रगट कर हीं देते हैं।
यदि घर के रहस्य को जानने बाले बाहर निकाले जाते हैं-वे उसे अन्य लोगों को प्रगट कर देते हैं जिससे नुकसान का भय रहता है।
रहिमन घटिया रहॅट की त्यों ओछे की डीढ
रीतेहि सन्मुख होत है भरी दिखाबै पीठ ।
अर्थ : रहट का पानी का पात्र और निकृश्अ ब्यक्ति का आचरण समान होता है।
नीच ब्यक्ति जरूरत पड़ने पर सामने आ जाता है और काम पूरा हो जाने पर वह पीठ दिखाकर भाग जाता है।
इसी तरह रहट का पात्र खाली रहने पर सामने से और भरा रहने पर पीछे से दिखाई पड़ता है।
रहिमन ठठरी ध्ूार की रही पवन ते पूरि
गाॅठ युक्ति की खुलि गई अंत ध्ूारि की धूरि ।
अर्थ : यह शरीर हड्डी माॅस का ढाॅचा है जो हवा पृथ्वी आकाश आग और जल के पंच तत्व से बना है।
शरीर से इन तत्वों के निकल जाने नर केवल धूल राख हीं बच जाता है।इस क्षरााभंगुर शरीर पर अभिमान नही करना चाहिये।
खीरा को मुॅह काटि के मलियत लोन लगाय
रहिमन करुक मुखन को चहियत यही सजाय।
अर्थ : खीरा का मुॅह काटकर उसपर नमक मला जाता है ताकि उसका खराब स्वाद मिट जाये।
करूवे वचन बोलने बाले को भी इसी प्रकार की सजा देनी चाहिये।
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