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रहिमन असमय के परे हित अनहित ह्वै जाय बधिक बधै भृग बान सों रूधिरै देत बताय।

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


रहिमन चाक कुम्हार को मांगे दिया न देई
छेद में डंडा डारि कै चहै नांद लै लेई  ।


अर्थ : कुम्हार के चाक से दीया मांगने पर वह नही देता है।
जब कुम्हार उसके छेद में डंडा डालकर चलाता है तो वह दीया के बदले नाद भी दे देता है।
दुर्जन ब्यक्ति नम्रता को कमजोरी मानता है।
तब उस पर दंड की नीति अपनानी पड़ती है।


रहिमन जिह्वा बाबरी कहिगै सरग पाताल
आपु तो कहि भीतर रही जूती खात कपाल ।


अर्थ : जीभ पागल होती है।शब्द कमल और तीर दोनों होता है।
अंट संट बोल कर खुद तो जीभ अंदर रहती है और सिर को जूते खाने पड़ते हैं।
वाणी पर नियंत्रण रख कर सोच समझ कर बोलना चाहिये।


रहिमन असमय के परे हित अनहित ह्वै जाय
बधिक बधै भृग बान सों रूधिरै देत बताय  ।


अर्थ : बुरे दिन में हित की बात भी अहित कर देती है।
शिकारी के तीर से घायल हरिण जान बचाने के लिये जंगल में छिप जाता है पर उसके खून की बूंदें उसका स्थान बता देता है।
उसका खून हीं उसका जानलेवा हो जाता है।समय पर मित्र शत्रु और  अपना पराया हो जाता है।


रहिमन अति न कीजिये गहि रहिए निज कानि
सैजन अति फूलै तउ डार पात की हानि  ।


अर्थ : किसी बात का अति खराब है।अपनी सीमा के अन्दर इज्जत बचा कर रहें।
सहिजन के पेड़ में यदि अत्यधिक फूल लगता है तो उसकी डाल और पत्ते सब टूट जाते हैं।
अपनी शक्ति का अतिक्रमण नही करें ।


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