-->

पुलिस केवल धमकी देगी क्या ? राजेश बैरागी

 फ्यूचर लाइन टाईम्स 


मेरठ के एसपी अखिलेश नारायण सिंह के बर्ताव के लिए क्या उन्हें सेल्यूट करना चाहिए?मैंने हाथ उठा भी लिया था फिर कुछ सोचकर रुक गया। विचार हुआ कि एसपी का यह रौद्र रूप किसका प्रतीक है। क्या यह एक कर्त्तव्यनिष्ठ अधिकारी का भावावेश में किया गया बर्ताव है या एक वर्ग विशेष से उनकी नफरत का इजहार है? यह भी सच्चाई है कि सत्ता की लकीर के फकीर अफसर भी ऐसा करते हैं। अखिलेश नारायण सिंह के अतीत से मैं परिचित नहीं हूं। समाचार चैनलों पर उनकी जिस हरकत को बार बार दिखाया जा रहा है उसमें पद की गरिमा और मर्यादा का उल्लंघन तो साफ नजर आता है परंतु व्यवहारिक रूप से उनके द्वारा किसी का नुक़सान किये जाने का संकेत नहीं है। उपद्रवियों के जाति-धर्म पर न जाकर उनके कृत्यों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।आज एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने निजी बातचीत में बताया कि मुख्यमंत्री या किसी उच्चाधिकारी को भीड़ पर गोली चलाने या न चलाने का आदेश देने का अधिकार नहीं है। यह मौके पर मौजूद जिम्मेदार अधिकारी को सीआरपीसी में वर्णित नियमों के तहत निर्णय लेना होता है। जांच होने पर वही अधिकारी जवाबदेह होगा,दूसरा कोई नहीं। संविधान और दूसरी सैद्धांतिक पुस्तकों में सरकारी सेवकों के अधिकार और कर्तव्यों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।उन किताबों में लिखा न होने के बावजूद गुस्से पर नियंत्रण रखने का सिद्धांत सर्वोच्च है।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ