फ्यूचर लाइन टाईम्स
गोली मार देनी चाहिए क्या?
दस्यु युवती फूलन देवी के साथ देश में संभवतः पहला चर्चित सामूहिक दुष्कर्म किया गया था।वह बीहड़ के डाकू तंत्र का आंतरिक मामला था इसलिए उसकी कोई रपट दर्ज नहीं हुई थी।फूलन ने अपने साथ हुए उस अमानवीय कृत्य का बदला अपने हाथों लिया और बेहमई में उन १८ लोगों की दिनदहाड़े घर से बाहर निकाल कर हत्या की जिन्होंने उस रात लालाराम और उसके गिरोह का विरोध नहीं किया था। लालाराम शायद अभी भी जीवित है। फिर उसके बाद सामूहिक बलात्कार कभी न कभी होते रहे, कभी चर्चित कभी गुमनाम।२०१२ में दिल्ली के निर्भया कांड ने इस पाशविक कृत्य को समाज, सरकार और न्याय व्यवस्था के विमर्श के केंद्र में ला दिया। इस पर कानून में बदलाव किए गए। सरकार ने इस प्रकार के अपराध की पुनरावृत्ति पर नियंत्रण करने के आश्वासन दिये।इस सबके बावजूद हैदराबाद की डॉ प्रियंका रेड्डी कुछ पशु समान लोगों की हवश का शिकार हो गयी।देश आज सड़कों पर रहा। सड़क से संसद तक डॉ प्रियंका के अपराधियों को तत्काल सजा देने की मांग उठी। पूर्व अभिनेत्री व सपा सांसद जया बच्चन ने दांतों में जीभ दबाकर ऐसे अपराधियों को जनता को सौंप देने की मांग की तो बीजद के सांसद पिनाकी मिश्रा ने निर्भया कांड के दोषियों को सात वर्षों में भी सजा न मिलने पर फास्ट ट्रैक कोर्ट के औचित्य पर सवाल उठाया। अपराधियों खासतौर पर सामूहिक बलात्कार के आरोपियों को सजा देने के तरीके और समयावधि का सवाल बेहद गंभीर है।सजा की व्यवस्था अपराध के प्रति भय स्थापित करने से है। इसके लिए जरूरी है कि अपराध कर चुके व्यक्ति (यों)को जल्द से जल्द और कठोर से कठोर सजा दी जाए। बलात्कार पेट की भूख के लिए की जाने वाली चोरी जैसा अपराध नहीं है, सामूहिक बलात्कार तो बिल्कुल नहीं। परंतु सजा क्या हो? क्या इन्हें तत्काल गोली मार देनी चाहिए? भीड़ को सौंप देना कितना औचित्यपूर्ण होगा? कुछ देशों में ऐसी व्यवस्था है परंतु दोष सिद्ध होने पर। क्या हम दोषसिद्धि से पूर्व सजा अमल में लाना चाहते हैं? शायद यह गलत होगा। भीड़ को सौंप देना अराजकता को जन्म देगा। सबसे पहले हमें अपने न्याय तंत्र को सशक्त,तेज और विश्वसनीय बनाने की जरूरत है। उससे भी पहले हमें अपने सनातन भारतीय संस्कारों की पुनर्स्थापना की आवश्यकता है जिनमें बहन, बेटी,पराई स्त्री को हर हाल में सम्मान देने की आदत होती है। सड़क पर काली पट्टी बांध कर दिन में मोमबत्ती जलाने वाले सभी क्रांतिकारियों से यही विनम्र निवेदन है।
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