फ्यूचर लाइन टाईम्स
संसार में जितने भी युद्ध, लडाई झगड़े, दंगे फसाद, समस्याएं व मनमुटाव हैं उन सबके मूल में ईश्वर के वास्तविक स्वरुप को न जानना व भिन्न भिन्न पूजा पद्धतियां हैं ।
यदि संसार के सब लोग इस सच्चाई को आत्मसात कर लें कि ईश्वर एक है और उसकी पूजा करने की पद्धति भी एक है तो इन सब लडाई झगड़ों का अन्त हो जाये । सब बुद्धिजीवियों , नेताओं व मीडिया वालों का यह नैतिक कर्तव्य है कि ईश्वर के वास्तविक रुप से लोगों को अवगत करवायें । ईश्वर न्यायकारी, दयालु सच्चिदानंदस्वरूप, सर्वज्ञ, सर्वव्यापक, निराकार, अनादि, अनुपम, अजन्मा व अनन्त है । उसकी पूजा करने के लिए न तो किसी मन्दिर मस्जिद चर्च वा गुरुद्वारे की आवश्यकता है और न ही हिन्दू मुस्लिम सिक्ख जैन बौद्ध वा ईसाई होने की । व्यवहार काल में अहिंसा सत्य सयंम सदाचार परोपकार आदि का पालन करना और उपासना काल में ईश्वर की महिमा व उपकारों का गायन करना, चिन्तन करना, जप करना ही ईश्वर की वास्तविक पूजा पद्धति है । मीडिया द्वारा दिन रात हिन्दू मुस्लिम करना, हिंसक घटनाओं को दिन में सौ सौ बार दिखाना मूर्खता है । नेताओं द्वारा दिन रात वोट बैंक की राजनीति करना, एक दूसरे को गालीगलौज करना व अन्धविश्वास पाखंड को बढावा देना धूर्तता है ।
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