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नव वर्ष क्यों

फ्यूचर लाइन टाईम्स


31st को जश्न और 1 जनवरी को नया साल कहना कुछ ऐसा ही है जैसे अनदेखे में बहिन को भाभी कहना और फिर सामने आने पर पानी-पानी हो जाना , लेकिन आज का युवा कितना गिर गया है जोश में होस खोता जा रहा है, उसे अपनी संस्कृति सभ्यताओं और मर्यादाओं की तनिक भी लाज नहीं रही है, मित्रों बहुत बड़ी बिडम्बना है , हमारे देश में पड़े-लिखे नौजवान भी भेड़ चाल में बहे जा रहे हैं 


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