फ्यूचर लाइन टाईम्स
तुलसी ममता राम सों, समता सब संसार
राग न रोष न दोष दुःख, दास भये भव पार
हित सों हित रति राम सों, रिपु सों बैर बिहाऊ
उदासीन सब सों सरल, तुलसी सहज सुभाऊ
परी नरक फल चारि सिसु, मीच डाकिनी खाउ
तुलसी राम सनेह को जो, फल सों जरि जाऊ
जौ जगदीस तौ अति भलो, जौ महीस तौ भाग
तुलसी चाहत जनम भरि, राम चरण अनुराग
सब साधनको एक फल, जेहि जान्यों सो जान
ज्यों त्यों मन मंदिर बसहि, राम धरे धनु बान
नाटो नाते राम के, राम सनेह सनेहु
तुलसी माँगत जोरि कर, जनम जनम सिव देहु
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