फ्यूचर लाइन टाईम्स
बंगाल के बाद दिल्ली जल उठी। जामिया नगर इलाके में दंगाईयों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के बहाने तोड़फोड़ और आगजनी की।
पुलिस पर जामिया विश्वविद्यालय में घुसकर छात्रों और स्टाफ पर हाथ आजमाने के आरोप हैं। पुलिस के अनुसार अराजकता छात्रों ने नहीं बाहरी तत्वों ने फैलाई। फिलहाल कैंपस खाली करा लिया गया है, स्थिति नियंत्रण में है। नागरिकता संशोधन विधेयक अब अधिनियम की शक्ल अख्तियार कर चुका है। इसका विरोध मुस्लिम समुदाय द्वारा किया जा रहा है। पूर्वोत्तर में शांति के बाद सिर्फ पश्चिम बंगाल और दिल्ली में इसका विरोध जारी है। दोनों जगह हिंसक घटनाएं हो रही हैं। दोनों जगह चुनाव होने हैं। भाजपा दोनों राज्यों में सत्ता में नहीं है परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि भाजपा वहां सत्ता नहीं लेना चाहती। भाजपा को हर हाल में सत्ता चाहिए। दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने सबकुछ मुफ्त कर भाजपा को चुनाव की पटरी से उतार दिया है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के जरिए भाजपा दिल्ली में वापसी कर रही है। फ्री के बदले फायर हो रहा है। केजरीवाल घाघ राजनीतिज्ञ सिद्ध हुए हैं परंतु भाजपा से मुकाबले के लिए उन्हें अभी बहुत कुछ सीखना है। सबसे पहले उन्हें राजनीति के तुष्टिकरण के पुराने पैंतरे से बाहर आना होगा जिसके लिए अब समय नहीं बचा है। जहां तक ईमानदारी का सवाल है तो केजरीवाल सरकार की सच्चाई भयावह हो सकती है। ऐसे में भाजपा की रणनीतियां अभेद्य हो सकती हैं। सबसे बड़ी समस्या इन रणनीतियों को समझना है। जामिया एक उदाहरण है।
0 टिप्पणियाँ