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मैंने समुन्दर से सीखा है जीने का सलीका, चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


व्यवस्था परिवर्तन से ही उत्थान संभव है जो गरीब कमजोर आम जनमानस के लिए एक भीषण चुनौती है। यह बात समाज के प्रत्येक वर्गो में लागू होती है। इस देश में असली फासला अमीरी और गरीबी का है सदियों से अमीरजादों की मनमानी हुकुमत कायम है जो उपर से लेकर नीचे तक हाबी है। कानून व्यवस्था, विकास विभाग से लेकर सरकार के प्रत्येक पटल पर एक सिस्टम लागू है जिसे देश का गरीब कमजोर बहुसंख्यक तपका फालो करने की स्थीत में नहीं रहता है इस नाते वह न्याय और विकास से दूर है वहीं अमीर अन्यायी और अत्याचारी होते हुए भी सिस्टम को फालो करने की कुबत रखता है इस नाते वह सफल है। राजनीति एक यैसी कुंजी है जिससे हर ताला आसानी से खुल जाता है परन्तु वहां भी वही धनबली और बाहुबली सक्सेज है जबकि इस लोकतंत्र में वोट सर्वोपरि है परन्तु इसका सदुपयोग सही ढंग से न कर पाने के कारण हम बहुसंख्यक होते हुए भी पिड़ीत है। इस इंटरनेट के जमाने में यदि हमारा पढ़ा लिखा तपका दुरगामी सोच से काम करें तो व्यवस्था परिवर्तन किया जा सकता है 


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