फ्यूचर लाइन टाईम्स
भारतीयो के बडे वर्ग मे एक गलत आदत है कि वे अपने इतिहास को नही पढ़ते। वे केवल जो चल रहा है उसमें विस्वास करते चलते है ।
मै जो जानकारी दे रहा हु उस पर कमेंट डालने से पहले तथ्यों को परख लेना। वरना जीते जी कभी सत्य को नही जान पाएँगे।
1942 मे महात्मा गॉधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया जिसने भारत के सभी लोगो ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इसी आंदोलन मे कुछ लोगो ने एक थाने मे आग लगा दी। जिसमे किसी की जान तो नही गई लेकिन गॉधी जी को लगा कि ये उनके आदर्शो के खिलाफ है। इस कारण गांधी जी ने ज़ोर शोर से चल रहे असहयोग आन्दोलन को रद्द कर दिया । उन्होंने किसी की परवाह नही की।
लेकिन इस आंदोलन के बाद अंग्रेज़ों ने असहयोग आंदोलन मे शामिल होने पर 19 लोगो को फॉसी की सजा दे दी।
6 लोगो की म्रत्यु पुलिस हिरासत मे हुई व 106 लोगो को अाजीवन कारावास की सजा सुनाई गई
जो इस पोस्ट पर गॉधी का पक्ष लेगे वे केवल मेरे इस प्रश्न का उत्तर दे कि इन लोगो कि मौत व सजा के पीछे कारण क्या महात्मा गॉधी नही थे । क्या भारतियों की मौत हिंसा के दायरे मे नही आती थी या केवल थाने मे लगी आग ही हिंसा थी?
बात बात पर अनशन पर बैठने वाले गांधी ने इन लोगो को बचाने के लिये क्या कोई क़दम उठाया था?
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