फ्यूचर लाइन टाईम्स
सृष्टि की आयु करोड़ो वर्षों की हो चुकी है , मनुष्य भी इस धरा पर लाखों वर्षों से ।
इन लाखों वर्षों से स्वच्छ जल, स्वच्छ वायु , स्वच्छ भूमि का मनुष्य आनंदपूर्वक उपभोग करता आ रहा था।
पर पिछली चार सदी के मानव के तथाकथित महान विकास ने लाखों वर्षों से उपलद्ध होते आ रहा स्वच्छ जल, स्वच्छ वायु , स्वच्छ भूमि और स्वच्छ आसमान को भयंकर दूषित कर दिया ।
लाखों वर्षों के इतिहास में मनुष्य ऐसी विपत्ति कभी नहीं पड़ा जैसा प्रदूषण के कारण इस सदी में है।
आज वायु प्रदूषण मानवता के लिए खतरा बन गया है ,मेट्रो सिटीज तो गैस चेम्बर बन चुके हैं।
आज हम हर एक श्वांस के साथ शरीर को जहरीला बना रहे हैं जो मनुष्य को हजारों अपरिचित बीमारियों से ग्रसित कर रहा है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने वाले लोग भी अस्वस्थ हो रहे हैं।
अब शहरों की छतों से आसमान में तारे नजर नहीं आते , बचपन के आसमान के वो मनमोहक दृश्य अब गांवों के शांत वातावरण में भी लुप्त हो गये हैं ।
मनुष्य की तथाकथित महत्वाकांक्षाओं ने श्वांस की वो मिठास मिटा दी है । इस सबका समाधान किसी डॉक्टर , किसी सरकार , किसी इंस्टिट्यूट के पास नहीं है पर सनातन संस्कृति के पास इसका समाधान है।
समाधान के लिए शेष एकमात्र मार्ग है सनातन संस्कृति का अनुसरण , वैदिक सभ्यता की पुनर्स्थापना ।
जहाँ यह सिखाया जाता है कि वायु-जल-अग्नि-पृथ्वी-अंतरिक्ष देवता हैं।
इन्हीं देवताओं से ही हमारा जीवन है , पृथ्वी हमारी माता है।
देवता मतलब कोई मुकुट पहनकर आसमान में बैठा कोई व्यक्ति नहीं बल्कि जो हमारे जीवन के लिए अनिवार्य हैं, वे देवता कहलाते हैं अर्थात जो प्रकृति की मूलभूत शक्तियां हैं वे सनातन दर्शन में देवता कहलाते हैं।
जब इनके प्रति आस्था और भक्ति का भाव आपने मन मे जन्म लेगा तो आप स्वतः वो सब करना बंद कर देगें जिनसे जल , वायु , पृथ्वी और अंतरिक्ष प्रदूषित होते हैं।
सनातन संस्कृति के अनुसार
जब आप पृथ्वी को माँ मानेगें तब आप पृथ्वी को स्वच्छ रखेंगें ही और उसके अस्वच्छ -प्रदूषित होने पर आपको दुःख होगा ,
सनातन दर्शन आपके अंदर का स्वार्थ और तुच्छता को मिटाकर आपको उदार , विराट एवं परोपकारी बनाता है और यही मानवता की समस्त समस्याओं का निदान।
वसुधैव कुटुम्बकम्
।। जय श्रीराम ।।
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