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कोई पहचान बनाता है कोई पहचान बन जाता है , महाशय लक्ष्मी आर्य चले जाने पर क्षेत्र में शोक की लहर

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


"बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई।
इक शख़्स सारे गांव को वीरान कर गया"।


दादरी : जिला गौतम बुध नगर का गांव कचैडा गांव आज वीरान तो हुआ ही साथ ही एक जख्म भी दे गया कि अब ऐसा सख्श शायद ही यहां जन्म ले क्योंकि आज इस गांव की मिट्टी में जन्मा वह लाल सदा के लिए अलविदा हो गया जिसने कचैडा को देश - दुनिया में विशेष पहचान दिलाई थी। ऐसी सख्शियत जिन्होने जिन्होंने कचड़े गांव का नाम तो शीर्ष पटल पर चमकाया ही दूसरी तरफ जिला गौतम बुद्ध नगर का लाल दिल्ली स्थित दीवान हाल आर्य सभा का अध्यक्ष रहते देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी का अंतिम संस्कार वैदिक रीति रिवाज के साथ किया था। आज ऐसे ही गांव के सम्मानित पूर्व प्रधान महाशय लक्ष्मी चंद आर्य गांव के लोगों को जगाकर सदा के लिए सो गए । 


 कचैडा गांव जिसे कभी "अंधेरा महाद्वीप" कहा जाता था। क्योंकि इस गांव में आजादी के अर्धशतक पूरा करने के बाद भी बिजली के बल्ब तक नही जले थे। जब दुजाना से कचैडा की तरफ को आते थे तो लगता था कि एक ऐसे टापू की और जा रहे है जहा मुलभूत सुविधाओ के नाम पर कुछ भी नहीं था। गांव के रास्ते कीचड से अटे पडे रहते थे। रिश्तेदार तक आने से कतराते थे। कचैडा को कीचड गांव कहकर खीज मिटाते थे। 


यह महाशय जी का ही माद्दा था कि बिना प्रधान पद पर रहे भी उन्होने प्रधानों से ज्यादा विकास कार्य कराया। रास्ते और गलिया पक्के कराए और गांव को कीचड से निजात दिलाई। इसी के साथ गांव का अंधेरा मिटाते हुए बिजली की रोशनी से जगमग कराया । एक प्राईमरी स्कूल को छोड़कर गांव में एक भी शैक्षिक संस्थान नही था। जहा बच्चे आगे की पढाई जारी रख सके। ऐसे में गांव के लिए दो - दो शिक्षा संस्थान शुरू कराए। 


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोरा का गांव में पहली बार पदार्पण कराया। यही नहीं बल्कि वोरा से गांव में महाराजा नैन सिंह इंटर कालिज की नींव रखवाई। यह कॉलेज आज कचैडा के साथ ही दुरियाई गांव के हजारो छात्रों की भविष्य की नींव रख चुका है। इसके साथ ही मोहन सिंह आर्य वैदिक विधालय का भी संचालन शुरु कराया । दोनो शैक्षिक संस्थान कचैडा और दुरियाई गांव के लिए शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुए  हैं। 


 आज कहने को तो कचैडा आदर्श गांव की श्रेणी में स्थान पा चुका है। लेकिन इस गांव की तस्वीर और तकदीर बदलने वाले असली शिल्पकार महाशय लक्ष्मी चंद आर्य जी ही थे। जिन्हे "कचैडा का अन्ना हजारे" कहे तो अतिशयोक्ति नही होगा। जिस तरह से अन्ना हजारे जी ने देश दुनिया में अपने गांव रालेगण सिद्धि को पहचान दिलाई और एक माडल विलेज के रुप में ख्याति अर्जित कराई ठीक इसी तरह कचैडा गांव को भी महाश्य जी ने मुकाम तक पहुँचाया।


आज भारी जनसमूह के बीच महाशय लक्ष्मी चंद आर्य जी का वैदिक रीति से कचैडा गांव के मोहन सिंह वैदिक विधालय में अंतिम संस्कार किया गया। उनके ज्येष्ठ पुत्र देवेश नागर ने महाश्य जी को मुखाग्नि दी । जबकि भान्जे पुष्पेंद्र सिंह के अलावा भाजपा के राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर, उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री लखीराम नागर, विधान परिषद् सदस्य प्रशांत चौधरी सहित हजारों लोगों ने उन्हें   श्रद्धांजलि अर्पित की ।


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