फ्यूचर लाइन टाईम्स
आज पूस की रात तो नहीं है परंतु तेज बारिश ने हालात कुछ ऐसे ही कर दिये। पड़ोस में खुले आसमान के नीचे नवप्रसूता कुतिया अपने दो बच्चों के साथ रहती है। कॉलोनी के कुछ लोग उसे खाना देते हैं। पिल्ले थोड़े बड़े हो चले हैं तो लोगों की दिलचस्पी भी बढ़ी है। बेटा कुतिया और उसके बच्चों से कुछ ज्यादा ही जुड़ा है। बारिश तेज हुई तो उसे उनकी चिंता हुई। भीगने का कष्ट भूलकर वह दौड़ता हुआ गया, दोनों बच्चों को उठाया और घर की ओर चल दिया। कुतिया भी पीछे पीछे आयी और नीचे पार्किंग में उन्हें बोरी बिछाकर शरण दी गई। पत्नी ने प्रश्न किया,-कुतिया ने विरोध क्यों नहीं किया जबकि वह बच्चों की रक्षा में दिन-रात आते-जाते लोगों पर गुर्राती रहती है। मेरा जवाब यह था,-कुतिया को बेटे पर विश्वास है क्योंकि वह उनसे स्नेह करता है और जानवर मनुष्य से अधिक सतर्क व संवेदनशील होते हैं। दूसरे कुतिया को खुद पर पूरा भरोसा है कि दम रहने तक वह अपनी रक्षा कर सकती है। मैंने उन्हें समझाया यह मनुष्य और जानवर के बीच भरोसे का मामला है,यह एक जानवर के खुद पर भरोसे का मामला है। इस भरोसे में कानून नहीं प्रकृति की व्यवस्था चलती है जो मनुष्य और जानवरों के बीच अभी कायम है।
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