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करतारपुर गलियारा : आस्था के किनारों का मिलन

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


भारतीय मनीषा में हमेशा कर्म को प्रधान बताया गया है, लेकिन हर बार धर्म को इससे पहले रखकर उसने भारतीय आस्था को शीश नवाया है; करतारपुर गलियारे का खोला जाना इस साल की चर्चित और अहम घटनाओं में से एक रही 


पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित करतारपुर में गुरद्वारा दरबार साहिब भारतीय सीमा से लगभग 4 किलोमीटर दूर है, भारत के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक मंदिर से इसकी दूरी चार किलोमीटर है, सिक्खों के पहले गुरु गुरु नानक देव ने अपने जीवन के 18 साल यहीं बिताए थे; लिहाजा यहां का कण-कण सिक्खों के लिए पवित्र है, इसके लिए भारत से इस स्थान को सीधे जोड़े जाने की मांग दसको से की जाती रही, तमाम किंतु-परंतु के बीच जब तक यह गलियारा नहीं बना था, तब तक सिक्ख श्रद्धालु सीमा पर लगी दूरबीन से करतारपुर साहिब को निहार कर अपनी आस्था की प्यास बुझाते रहे 


1998 में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की ऐतिहासिक लाहौर यात्रा के दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से वार्ता के बाद इस दिशा में उम्मीद जगी 


अंततः 9 नवंबर 2019 को गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर इस गलियारे की शुरुआत की गई, गलियारा खोले जाने की समय पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा कि इस क्षेत्र की समृद्धि का रास्ता और आने वाली पीढ़ियों का सुनहरा भविष्य शांति में छिपा हुआ है  हालांकि पाकिस्तानी पक्ष की तरफ से समय-समय पर उठी बातें उसकी गंदी मंशा की कलई खोलती दिखती रही है, आशंका जताई गई कि पाकिस्तान इस गलियारे का गलत फायदा उठा सकते हैं 


साभार 


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