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ज्यों नाचत कठपूतरी करम नचावत गात अपने हाथ रहीम ज्यों नहीं आपने हाथ   ।

फ्यूचर लाइन टाईम्स 


ज्यों नाचत कठपूतरी करम नचावत गात
अपने हाथ रहीम ज्यों नहीं आपने हाथ   ।


अर्थ : 
जिस तरह कठपुतली दूसरे के इशारे पर नाचती है उसी तरह मनुश्य के कर्म उसके शरीर को नचाते हैं। लोगों के हाथ पैर उसके नियंत्रराा में नही हैं।सब इश्वर के हाथ
में है।


जेहि अंचल दीपक दुरयो हन्यो सो ताही गात
रहिमन असमय के परे मित्र शत्रु ह्वै जात  ।
दीपक को बुझने से बचने हेतु गृहिणी आंचल से ढककर उसे घर में रखती है।सोने के समय उसी आॅचल से उसे बुझा देती है। यह समय का फेर है।बुरे समय पर मित्र भी शत्रु बन जाते हैं।
दुरदिन परे रहीम कहि दुरथल जैयत भागि
ठाढे हूजत घूर पर जब घर लागति आगि ।


अर्थ : 
दुर्दिन के समय जहाॅ प्राण बचे वहाॅ भाग जाना चाहिये।जब घर में आग लग जाती है
तो हम गंदगी के ढेर पर जाकर खड़े हो जाते हैं।अचानक संकट से बचने के लिये कुछ भी करना उचित होता है।


रहिमन अब वे  बिरिछ कहॅ जिनकी छाॅह गंभीर
बागन बिच बिच देखियत सेहुड़ कंज करीर ।


अर्थ : 
अब कहीं भी इस तरह का बृक्ष नही है जिनकी छाया पूर्णतःशीतल और सुखद हो।अब
तो बगीचों में केवल काॅटे बाले बेकार बिना काम बाले बृक्ष रह गये हैं।दुनिया में अच्छे लोगों  की कमी हो गई है। अब केवल मूर्खों से संसार भर गया है।


रहिमन बिगरी आदि की बनै न खरचे दाम
हरि बाढे आकाश लौं तउ बाबने नाम ।


अर्थ : 
जो काम आरम्भ में हीं खराब हो जाता है वह कितना भी पैसा खर्च किया जाये यानि
प्रयास किया जाये वह संभल नही पाता है।विश्नु ने बौना बनकर राजा बलि से दान मांगा था-इसलिये उन्हें बामन हीं कहा जाता है।


आदर घटे नरेस ढिग बसे रहे कछु नाॅहि
जो रहीम कोरिन मिले धिक जीवन जग माॅहि ।


अर्थ : 
यदि मान प्रतिश्ठा कम हो तो राजाके पास भी मत रहो।यदि तुम्हें करोड़ों रूपये मिले तब भी ऐसा अपमान का जीवन ब्यर्थ हैं।


रहिमन निज मन की बिथा मन हीं राखो गोय
सुनि इठिलैहैं लेाग सब बाॅटि न लैहें कोय।


अर्थ : 
अपने मन के दुख को अपने मन में हीं रखना चाहिये।दूसरे लोग आपके दुख को सुनकर हॅसी मजाक करेंगें लेकिन कोई भी उस दुख को नही बाटेंगें।अपने दुख का मुकाबला स्वयं करना चाहिये।


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