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झूठी मान्यता और दुखदायक हानिकारक निकृष्ट आचरणों के कारण संसार भर में सब लोग दुखी हैं।

फ्यूचर लाइन टाईम्स 



आजकल चारों ओर जो वातावरण बना हुआ है, वह है खूब धन कमाओ, जैसे तैसे कमाओ, चाहे धन कमाने के लिए कुछ भी करना पड़े। झूठ छल कपट धोखा बेईमानी चोरी डकैती ब्लैकमेलिंग अपहरण हत्या ब्लैकमार्केटिंग आदि कुछ भी करना पड़े, करो। और किसी भी तरह से धन प्राप्त करो। तथा संसार के पदार्थों का भोग करो। 
इस विकृत मान्यता के कारण आज चारों ओर का वातावरण बहुत दूषित हो चुका है। इस झूठी मान्यता और दुखदायक हानिकारक निकृष्ट आचरणों के कारण संसार भर में सब लोग दुखी हैं।
 एक दूसरे से अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए मजबूरी में दूसरों से व्यवहार कर रहे हैं। किसी को किसी पर विश्वास नहीं है। यहां तक कि पिता पुत्र को भी आपस में विश्वास नहीं है। सगे भाई बहनों को भी एक दूसरे पर भरोसा नहीं है।
 जो सुखशांतिदायक कर्म हैं, उत्तम कर्म हैं, उनको करना छोड़ दिया। जैसे माता पिता की सेवा बड़े बुजुर्गों का सम्मान धन की तुलना में विद्या का महत्त्व अधिक समझना वेदों की सच्ची विद्या को पढ़ना उसके अनुसार अपना जीवन आचरण बनाना आदि। इन सब उत्तम तथा सुखदायक कार्यों को छोड़ देने के कारण, जीवन में अशांति तनाव तथा दुख हैं।
जिसको देखो, सुबह से रात तक उसके मन में बस पैसा ही घूमता है। पैसा कहां से लाऊं, पैसा कैसे कमाऊँ? और यह इच्छा मरते दम तक पूरी नहीं होती. अंत में भी व्यक्ति हाय पैसा, हाय पैसा करते करते मर जाता है, परंतु उसकी धन प्राप्ति की इच्छा शांत नहीं होती। हो भी नहीं सकती। क्योंकि यह इच्छा पूरी होना असंभव है. धन तो आप को इतनी ही सुविधा दे सकता है कि आपका खाना पीना घर मकान मोटर गाड़ी मिल जाए, और आपका जीवन ठीक तरह से चल जाए।
 इसलिए धन के नाम का जप न करें। शांति देने वाले परमात्मा के ओ३म् नाम का जप करें। उसी को बार-बार दोहराएँ। अपने व्यवहार में न्याय सत्य सेवा परोपकार नम्रता सभ्यता आदि उत्तम कर्मों का आचरण करें। ऐसा करने से शांति आनंद सुख मिल सकता है।


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