फ्यूचर लाइन टाईम्स
एक ही कर्म,कर्ता की भावना या मंशा बदल जाने मात्र से पाप से पुण्य और पुण्य से भी पाप में बदल जाता है। पहले तो यह तय करें की हम आर्य है या हिंदू है? क्योंकि आर्य तो श्रेष्ठता को वरण करने की उपाधि है और हिंदू तो फारसियों की हमें दी काला, काफिर चोर (रहजन) रुपी गाली है।हिंदू तो जन्म के आधार पर मान्य है,जबकि आर्यत्व को धारण करना होता है।
दूसरी बात यह भी अटल सत्य है,की झूठ बोलने वाला कोई भी व्यक्ति भले ही किसी भी देश या संसार के सबसे उच्च पद भी विराजित हों,वह अपने देश और दुनिया का कभी भला नही कर सकता है,क्योंकि झूठा व्यक्ति अधर्मी,अज्ञानी,अन्यायकारी, निर्बल तो होता ही है,साथ ही वह सदचरित्र,ईश्वर क्रपा पाने का भी पात्र नही हो सकता है।
किसी भी देश में सरकार को पहले अपने वायदों को समय सीमा में पूरा करना चाहिए और प्राथमिकता के आधार पर ज्वलंत समस्याओं का भी समाधान करना चाहिए। वर्तमान सरकार के वायदों के विपरीत लगातार विकास दर,रोजगार के साधन निर्यात, उत्पादन तो घट ही रहा है,वही भुखमरी,बलात्कार,हत्या और अन्य संगीन अपराध बढ रहे है,हां गौ माता के निर्यात में जरूर हम लगातार विश्व में टापर बने हुए है यह स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह अलग बात है,की पहले भी अनेक बार गौरक्षा के नाम पर हिंदुओं से वोट लिए गए। सरकार द्वारा अनावश्यक या बेफिजूल के मुद्दे उछाल कर, अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश जारी है।महर्षि दयानंद जी ने आर्य समाज की स्थापना ही पाषण/प्रतिमा पूजन जैसे अवैदिक पाखंडों का निर्मूलन के लिए की थी,लेकिन आज आर्य समाज मंदिर निर्माण का समर्थन करता है,तो कभी सरकार,संघ का पिछलग्गू बन जाता है।
दुनिया के किसी भी देश में मंदिर-मस्जिद, हिंदू-मुस्लिम,जात-पात जैसे पिछडेपन के मुद्दों पर कही भी चुनाव नही लडे जाते है, सिवाय भारत के। झूठे और अपराधी लोगों की मंशा कभी परमार्थ की नही होती है। इसलिए आर्य समाज जैसे बुद्धिजीवियों क्रांतिकारियों,देशभक्तों कुरीतियों के निवारण करने वाले,समाज सुधारकों,धार्मिक, सदचरित्र सदजनों के संगठन को हर झूठ और अधर्म का प्रमुखता से विरोध करने उठ खड़ा होना होगा। अन्यथा यह अपनी पहचान खो देगा।
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